छतरपुर: कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्यों के किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस मुद्दे पर बड़ा मलहरा सीट से भाजपा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी का बयान आया है. उन्होंने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी में जारी किसान आंदोलन के लिए राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लोधी ने कहा कि पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहां राज्य सरकार ने इन कानूनों को लागू नहीं किया है. यह किसानों का नहीं राजनीतिक दलों का आंदोलन है. उनका कहना है कि प्रदर्शन स्थल पर किसान कम हैं. राजनीति दलों के नेताओं का जमावड़ा है. फिर भी सरकार हर मुद्दे को हल करने के लिए तैयार है.


ये भी पढ़ें: काम से हटाए गए 253 कोरोना योद्धाओं का छलका दर्द, बोले- 'दूध से मक्खी की तरह निकाल दिया'


किस बात डर है किसानों को?


  1. कृषि सुधार संबंधित तीन कानूनों में सरकार ने किसानों को मंडी समितियों के अलावा सीधे खेत से अपना अनाज बेचने की छूट दी है. साथ ही यह व्यवस्था कानून में है कि किसान दूसरे राज्य में भी अपने अनाज को बेच सकते हैं. लेकिन इस बीच किसानों को डर है कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर सकती है. क्योंकि नए कानून में एमएसपी पर कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया गया है. किसानों की मांग है कि सरकार कानून में एमएसपी को जारी रखने की बात लिखित में शामिल करे.

  2. दूसरी ओर किसानों को डर है कि नए कृषि कानून से मंडी समितियां तबाह हो सकती हैं. इसमें मंडियों के आढ़ाती भी किसानों का साथ दे रहे हैं और उनका कहना है कि मंडियां बचेंगी तभी तो किसान अपनी फसल बेच पाएगा. किसान संगठनों को डर है कि मंडी व्यवस्था कमजोर होने के बाद कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और उनका नुकसान होगा.


इन तीन कानूनों का हो रहा विरोध


  1. किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून 2020

  2. किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून

  3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून


ये भी पढ़ें: चाकू से गोदकर नाबालिग की बेहरमी से हत्या, देखें मर्डर का LIVE VIDEO


 


ये भी पढ़ें:युवाओं के लिए खुशखबरी- रेलवे में 1 लाख से ज्यादा पदों पर होगी भर्ती, यहां देखें पूरी डिटेल्स


WATCH LIVE TV