रायपुर: राज्य में धान उत्पादक किसानों की लगातार बढ़ती संख्या और अधिक पैदावार ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. जिसकी वजह से सरकार ने अब धान का रकबा 5 फीसदी घटाने का फैसला लिया है. सरकार की तरफ से यह फैसला इसलिए लिया जा रहा है. ताकि राज्य में दलहन, तिलहन, गन्ना और मक्का की फसलों के पैदावार को बढ़ाया जा सके. 


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राज्य में धान की बंपर पैदावार होने की वजह से सरकार की तरफ से 2500 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर धान की बड़ी मात्रा में खरीदी की गई. जिसकी वजह से सरकारी खजाने पर भी प्रभाव पड़ा है. इसलिए सरकार मान रही है कि 2500 रुपये समर्थन मूल्य मिलने की वजह से किसान धान की खेती ज्यादा कर रहे हैं. जिसकी वजह से राज्य में अन्य फसलों की पैदावार कम हो गई है.


इस वर्ष पूरे राज्य में 130 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार हुई थी. इसमें करीब 83 लाख 65 मीट्रिक टन धान की एमएसपी पर खरीदी गई. इस बार पूरे राज्य से 19 लाख 62 हजार 739 किसानों ने धान खरीदने के लिए पंजीयन कराया था. इस वर्ष पूरे राज्य में धान का रकबा 3 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, वहीं धान उत्पादन करने वाले किसानों की संख्या 3 लाख के करीब बढ़ी है.


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छत्तीसगढ़ कृषि मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि जबतक राज्य में क्रांग्रेस की सरकार रहेगी तब तक किसानों के धान की खरीदी की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से धान का रकबा 5 प्रतिशत कम इसलिए किया जा रहा है ताकि राज्य में नगदी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा सके.


वहीं राज्य में धान का रकबा कम करने को लेकर बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध है. पर राज्य सरकार धान का रकबा कम कर रही है जो किसानों के हित में सही नहीं है.