शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण (chhattisgarh Reservation Bill) को लेकर मचे घमासान के बीच हाईकोर्ट (bilaspur Highcourt) की जस्टिस रजनी दुबे ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. आरक्षण के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता व एडवोकेट के साथ ही राज्य सरकार ने भी याचिका दायर की है. जिस पर सोमवार को शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil sibbal) ने तर्क दिया है.


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कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल को सीधे तौर पर विधेयक को रोकने का कोई अधिकार नहीं है. मामले में जवाब के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है.  अगर राज्यपाल की असहमति है तो वह बिना हस्ताक्षर किए असहमति जताते हुए राज्य शासन को लौटा सकती है.


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किस वर्ग को कितना आरक्षण?
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और EWS के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. अब इस विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस पर स्वीकृति नहीं मिली है.


क्या है शासन की याचिका में
राज्य शासन ने अपनी याचिका में कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर राज्यपाल से सहमति लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलासा था. जिसमें 76 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित हुआ है. इसमें आर्थिक रुप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को भी 4 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है. अब नियमानुसार विधानसभा से आरक्षण बिल पास होने के बाद राज्यपाल के साइन होने बाकी है. लेकिन काफी लंबे समय से ये बिल लंबिक रखा गया है. बता दें कि राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसे स्वीकृत करने से फिलहाल इनकार कर दिया है और बिल अपने पास ही रखा है.