छत्तीसगढ़ की सियासत में दिख रहा पितृपक्ष का असर, रमन सिंह ने बताया किस बात पर फंसा पेंच
Chhattisgarh Elections: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है, लेकिन प्रदेश की सियासत में पितृपक्ष का असर देखने को मिल रहा है.
Chhattisgarh Elections: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद बीजेपी ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी, जिसमें रमन सिंह, अरुण साव समेत कई दिग्गजों के नाम शामिल थे. बीजेपी ने राज्य में 85 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, केवल पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकि है. लेकिन छत्तीसगढ़ की सियासत में पितृपक्ष का असर भी पूरी तरह से दिख रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का बयान तो इसी तरफ इशारा कर रहा है.
पितृपक्ष के बाद शुरू करेंगे प्रचार
रमन सिंह ने कहा 'बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन हम प्रचार की शुरुआत पितृपक्ष के बाद करेंगे. पार्टी चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.' रमन सिंह के बयान से साफ होता है कि बीजेपी ने भले ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. लेकिन पार्टी प्रचार की शुरुआत पितृपक्ष के बाद ही करेगी.
कांग्रेस पर भी दिख रहा असर
खास बात यह है कि पितृपक्ष का असर केवल बीजेपी पर नहीं दिख रहा है, बल्कि कांग्रेस इस मामले में और भी संजीदा है. बताया जा रहा है कि पार्टी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट पितृपक्ष के बाद ही जारी करेगी. माना जा रहा है कि कांग्रेस की पहली लिस्ट 15 अक्टूबर को आ सकती है. खुद सीएम भूपेश बघेल भी इसके संकेत दे चुके हैं.
रमन सिंह ने सीएम बघेल पर निशाना साधते हुए कहा ' भूपेश बघेल बोलते थे कि डॉक्टर रमन को कोई दिल्ली में पहचानता ही नहीं फिर आज कैसे उनके स्वर बदल गए. उनका स्वर बदलता क्यों है ये मुझे नहीं मालूम, लेकिन सवाल ये है कि निर्णय केंद्रीय चुनाव समीति करती है. डॉक्टर रमन सिंह बीजेपी की बैठक में एक सामान्य कार्यकर्ता की हैसियत से शामिल होता है.
युवाओं को मौका मिला है: रमन सिंह
रमन सिंह ने कहा कि बीजेपी ने 90 में से 85 प्रत्याशी घोषित किए गए हैं. प्रत्याशी की घोषणा से सभी क्षेत्रों में उत्साह है कि क्योंकि 42 से ज्यादा युवा चेहरे हैं. सभी समाज को प्रतिनिधित्व दिया गया है. समाज में सभी को अवसर मिले, इसकी चिंता की गई है.
वहीं प्रत्याशी घोषित होने के बाद कई सीटों पर दावेदारों की नाराजगी के मसले पर रमन सिंह ने कहा 'हर विधानसभा सीट में कई दावेदार रहते हैं. एक-एक विधानसभा में 7 से 8 लोग हैं जो टिकट के लिए संघर्ष करते हैं. टिकट किसी एक को ही मिलता है, ऐसे में बाकी में लोगों में थोड़ी निराशा दो-चार दिन रहती है, उनसे बातचीत कर लिया जाएगा.
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