CG NEWS/अनूप अवस्थी: छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर एक ओर राजनीतिक दल सक्रिय नजर आने लगे हैं, दूसरी ओर चुनाव आयोग और सुरक्षाबलों के द्वारा भी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है. बस्तर में चुनाव करवाना सुरक्षाबलों और चुनाव आयोग के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों में बस्तर के हालात बदले हैं यही कारण है कि अब बस्तर में संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या में कमी देखी जा रही है. नक्सल प्रभावित भौगोलिक परिस्थिति और अन्य मापदंडों के आधार पर निर्वाचन आयोग संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों की सूची तैयार करता है.


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बस्तर जिले का एक बड़ा इलाका लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा है. ऐसे में इन क्षेत्रों में चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग और सुरक्षाबलों को चुनौती का सामना करना पड़ता था. सामान्य मतदान केंद्रों की तुलना में संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल के ज्यादा जवानों को तैनात करना पड़ता था. इसके साथ ही भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर मतदान दलों को 2 दिन पहले ही इन मतदान केंद्रों के लिए रवाना करना पड़ता था. बस्तर के कोलेंग इलाके में हेलीकॉप्टर के माध्यम से मतदान दल को भेजा जाता था.


जिले में 4 विधानसभा सीट
बस्तर जिले के विधानसभा सीटों की बात करें तो जिले में 3 विधानसभा जगदलपुर , बस्तर और चित्रकोट हैं. इसके अलावा नारायणपुर विधानसभा का आंशिक हिस्सा भी बस्तर जिले में आता है. जगदलपुर में 245 मतदान केंद्र हैं, चित्रकोट में 235 और बस्तर विधानसभा में 211 और नारायणपुर के 82 मतदान केन्द्र भी बस्तर जिले में आते हैं. 


जिले में 129 अतिसंवेदनशील मततान केंद्र 
बस्तर आईजी सुंदर राज पी ने बताया संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कैंप स्थापित होने से इन इलाकों में पहुंच मार्ग पुल पुलिया बनने से हालात बदले हैं. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 129 मतदान दलों को 2 दिन पहले ही मतदान केंद्रों के लिए भेजा गया था. इनमें अति संवेदनशील क्षेत्र कालेंग के चार मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से रवाना किया गया था. कोलेंग, कांदानार, छिंदगुर और मुण्डागढ़ के मतदान दल के 18 सदस्यों को जगदलपुर एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर द्वारा रवाना किया गया था. बस्तर जिले में पिछले चुनावों के दौरान कुल 129 अतिसंवेदनशील और संवेदनशील मतदान केंद्र थे.