रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर नई  बिल्डिंग बनाई जा रही हैं तो वहीं जिले के कई ऐसे स्कूल हैं जो अपने जीर्णोद्धार को तरस रहे हैं. जिले के कई ऐतिहासिक स्कूल है जो अपने अस्तित्व खोते जा रहे हैं लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.


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राजा ललित ने क‍िया था इस स्‍कूल का जीर्णोद्धार 
रायगढ़ शहर के जूट मिल क्षेत्र के ललित प्राथमिक स्कूल और मिडिल स्कूल में 200 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. ललित प्राथमिक स्कूल शहर के ऐतिहासिक स्कूल में गिना जाता है ज‍िसका सन् 1968 में रायगढ़ के राज परिवार के राजा ललित के द्वारा जीर्णोद्धार किया गया था. उसके बाद से ही स्कूल भवन मरम्मत को तरस रहा है ज‍िसकी वजह से स्कूल की भवन बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है. 


स्‍कूल की छत से टपकता है पानी 
विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों का कहना है कि विद्यालय परिसर में पानी से लेकर शौचालय की व्यवस्था उचित नहीं होने के कारण उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में स्कूल के छत से पानी टपकता है जिसकी वजह से उन्हें बरामदे में अपनी क्लास लेनी पड़ती है. स्कूल की  बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है जिससे बिल्डिंग गिरने की आशंका बनी रहती है और इसी डर के साये में वह स्कूल में पढ़ने को मजबूर हो चुके हैं. 


क‍िसी प्रकार की नहीं हो रही सुनवाई 
प्राचार्य और टीचरों को इसकी शिकायत वह लगातार करते हैं लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई अधिकारी स्तर पर नहीं हो पाती है. जिले में लगभग 3 हजार 141 स्कूल शिक्षा विभाग के भवन में विद्यालय संचालित किए जाते हैं. इनमें से लगभग 140 ऐसे स्कूल है जिन्हें तत्काल जीर्णोद्धार की आवश्यकता है. इसकी शिकायत लगातार विद्यालय के छात्र और टीचर अधिकारियों तक करते हैं लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं होने के कारण विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में बना हुआ है. 


बिल्डिंग भवन की मरम्मत की लगातार मांग
विद्यालय की हेड मास्टर उमा चौहान के द्वारा लगातार अधिकारियों को लिखित शिकायत दी जा रही  है. बिल्डिंग भवन की मरम्मत की लगातार मांग की जा रही है लेकिन अधिकारियों के द्वारा इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है.


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