50 सालों से नक्सली आतंक से जूझ रहा छत्तीसगढ़, जानिए कब-कब हुए बड़े हमलें
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच पिछले 50 सालों से संघर्ष चल रहा है. इतने समय में नक्सलियों ने कई बार बड़े हमलों को अंजाम दिया है.
Chhattisgarh Naxalism: पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से साल 1967 में शुरू हुई नक्सलवाद की शुरुआत आज छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ उग्रपंथी आंदोलन आगे चलकर नक्सलवाद कहा गया. इसी नक्सलवाद से छत्तीसगढ़ पिछले 50 सालों से संघर्ष कर रहा है. इतना लंबा वक्त गुजर चुका है, लेकिन नक्सलवाद के घाव को ठीक नहीं किया जा सका है. इस दौरान नक्सलियों ने कई बार सुरक्षाबलों पर हमले किए हैं, जिसमें कई जवानों की मौत हुई है. हम आपको छत्तीसढ़ में हुए नक्सलियों के बड़े हमलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो नक्सलियों के साथ संघर्ष की कहानी बयां करते हैं.
छत्तीसगढ़ में कैसे शुरु हुआ नक्सलवाद
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच पिछले करीब 50 सालों से बस्तर के इलाके में संघर्ष चल रहा है. छत्तीसगढ़ कई राज्यों से घिरा हुआ है, मुख्य तौर पर जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. वो सीमावर्ती राज्यों से ही लगे हैं. माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की शुरूआत समीपवर्ती राज्य आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे बस्तर से हुई है. शांति के टापू छत्तीसगढ़ की स्वर्गस्थली बस्तर में इनका प्रवेश भोपालपटनम क्षेत्र से 1960 के दशक में होना माना जाता है, जब वहां से असामाजिक तत्वों की घुसपैठ हुई. हालांकि तब इसे नक्सलवाद नहीं माना जाता था. 1967-68 में इसे छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के रूप में नामजद किया गया. तबसे ये अपने पैर पसारते गया और धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ के लिए नासूर बन गया.
छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2000 में अलग राज्य बन गया, लेकिन नक्सलवाद की समस्या जस की तस बनी रही. अलग राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में 3200 से अधिक मुठभेड़ की घटनाएं हुई हैं, गृह विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2001 से मई 2019 तक माओवादी हिंसा में 1002 माओवादी मारे गए और 1234 सुरक्षाबलों की शहादत हुई. इसके अलावा 1782 आम नागरिक माओवादी हिंसा के शिकार हुए हैं.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में पूरा बस्तर संभाग शामिल हैं, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा और बलरामपुर ये वो जिले हैं जो नक्सल प्रभावित माने जाते हैं. इन जिलों की सुरक्षा में करीब 60 हजार से भी ज्यादा जवान तैनात है.
निर्णायक लड़ाई शुरू
हालांकि पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर सुरक्षाबलों ने नकेल कसना भी शुरू कर दिया है. पिछले पांच महीने में ही नक्सलियों के 350 से ज्यादा जवानों ने सरेंडर किया है, जबकि 112 नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर किया गया है.
रायपुर से सत्यप्रकाश की रिपोर्ट