chhattisgarh news-आपने हमेशा शादियों को रीति - रिवाज के साथ होती हुई देखी हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में हुई एक शादी चर्चा का विषय बन गई है क्योंक यह बिना किसी रीति-रिवाज के हुई है. रायगढ़ जिले के कापू गांव में यह शादी  न हिंदू , न इस्लाम , न सिख और न ही ईसाई धर्म के किसी रिवाज से शादी संपन्न हुई.


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दुल्हन और दूल्हे ने यहां संविधान की शपथ लेकर शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया. 


 


चर्चा में है शादी


रायगढ़ के कापू गांव की चर्चा अब हर जगह हो गई है, इसकी वजह यह अनोखी शादी है. दुल्हा यमन लहरे और दुल्हन प्रतिमा महेश्वरी ने संविधान की शपथ लेकर शादी के बंधन में बंधे. इस जोड़े ने  गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर 18 दिसंबर को शादी की है. शादी होने के बाद वर-वधु ने अंबेडकर की फोटो से उनका आशीर्वाद भी लिया. 


 


पढ़ी गई संविधान की प्रस्तावना


इस अनोखी शादी में वैदिक मंत्रो का उच्चारण नहीं हुआ बल्कि संविधान की प्रस्तावना की शपथ ली गई. दोनों ने एक दूसरो को  वरमाला पहनाकर बड़ी ही सादगी के साथ शादी की. दूल्हा और दुल्हन के परिजनों का मानना है कि इस तरह शादी से खर्चों में कमी आएगी साथ ही लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी. इस शादी को लेकर कापू जनपद पंचायत के पूर्व सदस्य ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग भारत का संविधान को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया गया है.


 


परिवार की सहमती से हुई है शादी 


दुल्हे यमन बताते ने बताया कि दोनों परिवारों की सहमती से हमनें शादी की है. शादी में होने वाले फिजूल खर्च से बचते हुए और बाबा साहेब अंबेडकर को साक्षी मानकर हमनें यह शादी की है. परिवार समेत हमें हर जगह से आशीर्वाद मिल रहा है. हमारे परिवार के किसी सदस्य को भी हमारे इस फैसले से कोई आपत्ति नहीं थी बल्कि हमारी शादी के लिए खुशी- खुशी राजी हो गए.