धान खरीदी केंद्रों में किसानों से लूट, तौलाई के नाम पर हो रही अवैध वसूली
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में किसानों से धान तौलाई के नाम पर ठगी की जा रही है. वहीं कुछ खरीद केंद्रों पर किसान को धान की तौलाई के लिए खुद का मजदूर भी लेकर आ रहे हैं.
दुर्गेश सिंह बिसेन/पेंड्रा: गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के ज्यादातर धान खरीदी केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान बेचने आए किसानों से मजदूरी, हम्माली एवं तौलाई के नाम पर किसानों से ठगी की जा रही है. 7 रुपए प्रति बोरी की दर से किसानों को खुद ही तौलाई का भुगतान करना पड़ रहा है तो कहीं अपने मजदूर लाकर ही काम कराना पड़ता है. तमाम सरकारी अमले होने के बावजूद खरीदी केंद्रों में किसान ठगे जा रहे हैं.
बता दें कि शासन-प्रशासन की नाक के नीचे किसानों से लगातार ठगी हो रही है. आश्चर्य यह है कि धान खरीदी की व्यवस्था बनाने के लिए प्रशासन ने पहले ही कई टीमें बना रखी है, जो लगातार निगरानी करती है. इसके बावजूद किसानों से हो रही इस लूट का उन्हें अब तक अंदाजा भी ना हो यह संभव है.
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के अंतर्गत किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए बनाए गए खरीदी केंद्रों में धान खरीदी के दौरान किसानों से लगातार ठगी हो रही है सारी व्यवस्था एवं सरकारी अमला लगाने के बावजूद किसान लगातार ठगे जा रहे हैं. खरीदी केंद्रों में खरीदी केंद्र प्रभारी किसानों से धान तौलाई के नाम पर प्रति बोरी 7 रुपए की दर से किसानों से ही भुगतान करा रहे हैं, जो प्रति क्विंटल लगभग 17 रुपए होता है, इस राशि का भुगतान किसानों को खुद ही करना पड़ता है, नहीं तो धान बिक नहीं पाएगा.
वहीं कुछ खरीदी केंद्रों में धान बेचने के लिए किसानों को खुद ही अपने मजदूर लेकर आना पड़ता है और उनके मजदूर ही धान खरीदी के दौरान सारे कार्य करते हैं, जिनमें ट्रैक्टर से धान उतारना, ढेरी लगाना, बोरी भरकर तौलाई करना, बोरे की सिलाई करना एवं बाद में स्टैकिंग करना भी शामिल है. जिसके लिए किसान 5 से 10 मजदूर लेकर आता है, जिन्हें 200 से ढाई सौ रुपए प्रति दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाता है. यह राशि किसान को ही देना पड़ता है. किसानों को यदि धान बेचना है तो यह करना ही पड़ेगा. किसान भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा रहे हैं. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.
धान खरीदी में किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने पहले ही ऐसे नियम बना रखे हैं कि किसानों को किसी भी तरह का नुकसान या असुविधा ना हो इसके लिए भुगतान की व्यवस्था है लगभग 11 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समिति को भुगतान किया जाता है, जिसमें कुल खरीदी पर दो रुपए प्रति क्विंटल की दर से समिति को साफ-सफाई एवं व्यवस्था के लिए दिया जाता है. जबकि प्रासंगिक व के रूप में शेष 9 रुपए में समिति मजदूरी भुगतान से लेकर अन्य व्यवस्था करती है, जिसमें धान की तौलाई एवं स्टैकिंग भी शामिल है.
मामले पर समिति स्तर पर हो रहे गड़बड़ झाले पर धान खरीदी केंद्र प्रभारी एवं जिला सहकारी बैंक के सुपरवाइजर का कहना है कि खरीदी केंद्रों में ऐसी व्यवस्था पहले से चल रही थी इसलिए इसे वैसे ही चलने दिया जा रहा है, पर आगे व्यवस्था बना ली जाएगी एवं किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी. वहीं पूरे मामले पर धान खरीदी करने वाली सरकारी एजेंसी विपणन संघ के जिला मार्केटिंग अधिकारी का कहना है कि 9 रुपए प्रासंगिक में सारे खर्चे शामिल हैं. ऐसे में किसानों से वसूली करना गलत है.
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