प्रकाश चंद्र शर्मा/जांजगीर चांपा: जिले के मड़वा पावर प्लांट में बवाल के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 एफआईआर दर्ज की हैं. इस पूरे मामले में करीब 400 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें कुछ नामजद और कुछ अज्ञात शामिल हैं. अब तक 7 उपद्रवियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. कल की घटना के बाद से पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है. घटना को नियंत्रण में लाने के लिए रायगढ़ और बिलासपुर से भी पुलिस फोर्स मंगवायी गयी थी. बता दें कि नियमितीकरण की मांग को लेकर भू-विस्थापित बीते 28 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और कल यह आंदोलन हिंसक हो गया. 


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इस दौरान आंदोलनकारियों ने प्लांट में जमकर तोड़फोड़ और बवाल किया था. इस हंगामे के बीच जब पुलिस ने हालात पर नियंत्रण पाने की कोशिश की तो कई प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में आग लगा दी और साथ ही तोड़फोड़ भी की, जिस वजह से 20-25 पुलिसकर्मी घायल हो गए. संयंत्र के संविदा कर्मी अपनी सेवाओं को स्थायी करने की मांग को लेकर पिछले 28 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा जब प्रदर्शनकारियों को साइट से हटाने की कोशिश के बाद आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. प्लांट में हाई बीपी और मधुमेह से पीड़ित कुछ कर्मचारी थे, जिन्हें बाहर निकालना जरूरी था. ऐसे में पुलिस को स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा. 


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आंदोलनकारियों और कंपनी प्रबंधन के बीच लगातार बातचीत भी चल रही और प्रशासन की तरफ से मध्यस्थता भी की जा रही थी. आंदोलनकारियों ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के अध्यक्ष से बातचीत कराने को कहा था, जिसे स्वीकारते हुए प्रशासन ने पहले 4 जनवरी फिर 3 जनवरी को मुलाकात का समय तय किया था, लेकिन बावजूद इसके आंदोलनकारी नहीं माने और बवाल शुरू किया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल किया, जिसपर आंदोलनकारियों ने पथराव किया जिससे कुछ समय के लिए स्थिति प्रभावित हुई और इस घटना में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए.


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