शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुरः छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 रही और भूकंप का केंद्र अंबिकापुर से 79 किलोमीटर दूर रहा. वहीं भूकंप के इस झटके ने एक बार फिर भू-गर्भ वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल सतपुड़ा और विंध्यांचल से गुजरने वाली नर्मदा नदी के नीचे भू-गर्भ की चट्टानों में अपभ्रंश है, जिसे सिस्मोलॉजी की भाषा में फॉल्ट कहा जाता है. इन फॉल्ट के कारण ही बीते सालों में बिलासपुर, सरगुजा, जबलपुर, खरगोन, इंदौर, निमाड़ और खंडवा में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. 


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नर्मदा घाटी के फॉल्ट जोन और इंडियन प्लेट्स के लगातार मूवमेंट ने भूकंप के खतरे को बढ़ा दिया है. छत्तीसगढ़ में प्रदेश की एकमात्र भूकंप वेधशाला बिलासपुर के बहतराई में है. इसका निर्माण 2008 में किया गया था लेकिन अक्टूबर 2012 में जब मध्य प्रदेश के जबलपुर सहित आसपास के इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे, इसके बाद ही नर्मदा फॉल्ट का पता चला. इसके बाद बिलासपुर वेधशाला को अपग्रेड किया गया था. 


इस वेधशाला से भूकंप की सेसमिक तरंगों को रीड करके सेटेलाइट के माध्यम से दिल्ली को ट्रांसमिट की जाती हैं. वहीं से भूकंप की रिक्टर स्केल तीव्रता का पता चलता है. वेधशाला के प्रभारी ने बताया कि बिलासपुर स्थित इस वेधशाला को अपग्रेड करना बेहद जरूरी था क्योंकि नर्मदा फॉल्ट की बात सामने आ चुकी थी. छत्तीसगढ़ में भूकंप और माइनिंग विस्फोट को लेकर भी भूकंप विज्ञानियों में कंफ्यूजन होता है क्योंकि यहां कई कोल माइन होने के चलते अक्सर विस्फोट होते रहते हैं.