पवन दुर्गम/ बीजापुर: छत्तीसगढ़  (Chhattisgarh News) में आए दिन नक्सली हमले होते हैं. इससे निजात पाने के लिए लगातार सरकार काम कर रही है. नक्सल प्रभावित जिलों में सेना के कैंप भी लगाए जा रहे हैं. काफी हद तक सेना के जवान नक्सलियों पर रोक लगाने में कामयाब रहे हैं. लगातार हो रहे हवाई हमलों और फोर्स के बढ़ते दबाव की वजह से नक्सली अब अपनी गोरिल्ला वार की टेक्नोलॉजी में बदलाव कर रहे हैं. नक्सली सुरंग के जरिए जवानों को गुमराह कर रहे हैं. नक्सलियों की ये तकनीक हमास से मिलती- जुलती है. इसे लेकर के सेना के जवान अलर्ट मोड पर हैं. 


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नक्सली बदल रहे हैं रणनीति 
सेना के जवानों की ओर से हो रहे हवाई हमलों और फ़ोर्स के बढ़ते दबाव के चलते नक्सली अपनी गोरिल्ला वार की टेक्नोलॉजी में बदलाव कर रहे हैं. बता दें कि जवानों को नुक़सान पहुंचाने के लिए नक्सलियों ने अबूझमाड़ इलाक़े के इंद्रावती नदी पार बोड़गा गांव के जंगलों में 80 मीटर लंबी सुरंग बना डाली है. साथ ही साथ जवानों को गुमराह करने के लिए सुरंग के फ्रंट पर ढांचे का इस्तेमाल कर रहे हैं. 


बता दें कि छत्तीसगढ़ तेलंगाना के बॉर्डर से लगे धर्मारम कैम्प अटैक में नक्सलियों ने हरी घास मुंह पर बांधकर अटैक किया था. IED मेकिंग में अब नक्सली एंटी हैंडलिंग मैकनिज्म तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. नक्सलियों ने अब बस्तर के जंगलों में अपना खुद का देशी बीजीएल रॉकेट लांचर बनाकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.  इसके अलावा इंटेंसिव एक्सप्लोसिव डिवाइड में भी नक्सलियों की तकनीक बदलती हुई दिख रही है. नक्सली अब प्रेशर और कमांड IED के बाद एंटी हैंडलिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर रहे हैं.  नक्सलियों की बदलती रणनीति को लेकर को देखते हुए जवान अलर्ट मोड पर हैं और पुलिस के आला अधिकारी भी अपनी स्ट्रेटेजी तैयार कर रहे हैं. 


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हमास जैसी तकनीक 
नक्सलियों ने हमास जैसी तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. बता दें कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध में इजराइल के लिए ये हमास में बनी सुरंगे मुसीबत का सबब बनी हुई थी. बता दें कि हमास में बनाई इन सुरंगों को 'गाजा मेट्रो' कहा जाता है.  इन सुरंगों के जरिए वियाग्रा से लेकर रेफ्रिजरेटर तक ईंधन की तस्करी की जाती है. इन सुरंगों के जरिए हमास के दुश्मन भय खाते हैं. ये सुरंगे कई आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. कुछ इसी तकनीक का इस्तेमाल अब नक्सली भी कर रहे हैं.