Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बीच (Assembly Election 2023) 1 नवंबर यानी की आज से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरूआत हो गई है. सहकारी समितियों में धान खरीदी की तैयारियां पूरी कर ली गई है. नए नियम के आधार पर इस वर्ष समितियों में 15 क्विटंल के स्थान पर अब प्रति एकड़ अधिकतम 20 क्विंटल धान की खरीद की जाएगी. कुल साढ़े 26 लाख से अधिक किसान पंजीकृत हैं. इनके लिए करीब 2600 केंद्र बनाए गए हैं. ज्यादातर केंद्रों में सुबह से ही किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है.


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राजनांदगांव में धान खरीदी
राजनांदगांव जिले के 73 धान खरीदी केंद्रों में खरीदी की जाएगी. पहले दिन 436 किसानों से 19698 क्विंटल खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. इस साल जिले में इस बार 10679 नए किसानों ने पंजियन कराया है. वहीं कुल पंजीक्रत किसान 12765 हैं.


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बस्तर में धान खरीदी
विधानसभा चुनाव के बीच बस्तर में 53 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया है. यहां 77 धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. जहां किसान फिंगर वेरिफिकेशन करवा कर ही धान बेच पाएंगे. राजनीतिक दलों के द्वारा की गई घोषणाओं के बीच किसानों में भी उत्साह देखा जा रहा है. हालांकि चुनावी प्रसार प्रसार के बीच धान बेचने के लिए जिले में गिनती के ही किसानों ने टोकन लिया है.


बलरामपुर में धान खरीदी
बलरामपुर जिले में कुल 49 धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं जो पिछले साल से 2 ज्यादा है. यहां समर्थन मूल्य पर किसानों से धान और मक्के की खरीदी की जाएगी. वर्ष 2023-24 के लिए औसत अच्छे किस्म के कॉमन धान के लिए 2183 रुपये और ए-ग्रेड धान के लिए 2203 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तथा मक्के के लिए 2090 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य होगा.


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जांजगीर चांपा में धान खरीदी
जांजगीर चांपा जिले के 129 धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. जिले में 5 लाख 58 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. इस साल कुल 1 लाख 17 हजार 112 किसानों ने पंजीयन कराया है. किसानों को इस बार भी टोकल के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों की सुविधा है. धान खरीदी करने के लिए धान खरीदी केंद्र में बायोमेट्रिक मशीन लगाई गई हैं.


कर्ज माफी का असर
माना जा रहा है की कांग्रेस के द्वारा की गई किसान कर्ज माफी की घोषणा के कारण शुरुआती दिनों में जिनके पास स्टोरेज की क्षमता है वो धान बेचने से बचेंगे. हालांकि, छोटे किसान अपनी पैसों की जरूरतों के लिए धान बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. सियासी गलियारों में माना जा रहा है की किसान धान बेचने में देरी इस लिए भी कर सकते हैं क्योंकी उन्हें इस बात की आशंका है कही बैंक पहले ही कर्ज का पैसा न काट लें.


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