Chhattisgarh NEWS: हम अक्सर देखते हैं कि लोग स्कूल खुलवाने के लिए कई जतन करते हैं ताकि उनके बच्चे स्कूल में पढ़ने जा सके, लेकिन अब एक ऐसा मामला देखने को मिल रहा है जहां लोग स्कूल को बन्द करने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. मामला बालोद जिले के वनांचल क्षेत्र लोहारा ब्लॉक के ग्राम कमकापार का है. गांव के लोग स्कूल भवन की खराब स्थिति से परेशान हैं. उनका कहना है कि बच्चों की जान पर बात नहीं आए. इसलिए वे स्कूल को बंद करने की  मांग प्रशासन से कर रहे हैं. 


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ग्रामीणों का कहना है कि वे विधायक से लेकर मंत्री तक अपनी बात रख चुके हैं. प्रशासन को भी आवेदन दिया गया है. अब तक कोई भी एक्शन सरकार ने नहीं लिया ना ही स्कूल वालों ने जर्जर हालत को ठीक कराया है. गांव वालों ने स्कूल की हालत देखते हुए बारिश के दिनों में स्कूल में करंट फैलने की आशंका जताई. बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल बंद करने की मांग की. स्कूल में ऊपर से पानी भी गिरता रहता है, जिसे रोकने के लिए तिरपाल का इस्तेमाल हो रहा है.


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स्कूल की जर्जर हालत 
ग्रामीण चुमेश कुमार ने बताया कि हायर सेकेण्डरी स्कूल का संचालन लगभग 22 वर्षों से हो रहा है. स्कूल में सिर्फ 4 कमरे हैं. 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन इस छोटे शाला भवन में हो रहा है, कार्यालय कक्ष, प्राचार्य कक्ष, शिक्षक कक्ष, लैब, पुस्तकालय इस भवन में शामिल है. स्कूल बिल्कुल ही जर्जर हो गया है.  ग्रामीण महेंद्र कुमार देशमुख ने बताया कि वर्तमान में इस जर्जर शाला भवन की छत से बरसात का पानी बहुत अधिक मात्रा में टपक रहा है. साथ ही छत का प्लास्टर कभी भी गिरते रहता है, जिसके कारण बच्चों को क्लास में बैठना मुश्किल हो रहा है. पानी टपकने के कारण स्कूल की बिजली भी खराब हो चुकी है. 


नए स्कूल के लिए भेज चुके हैं मांगपत्र
वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी वे नए शाला भवन के लिए मांगपत्र भेज चुके हैं, लेकिन बच्चों के हित के लिए शासन-प्रशासन गंभीर नहीं है. उन्होंने अब तुरंत इस स्कूल को बंद करवाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को डर-डर कर स्कूल में पढ़ने को मजबूर नहीं होना पड़े. ग्रामीणों ने बताया कि विधायक से लेकर मंत्री तक दौड़ लगा चुके हैं. प्रशासन तक आवेदन दे चुके हैं. अब तक किसी तरह का कोई भी परिणाम सामने नहीं आया. 


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शासन नहीं दे रहा ध्यान 
ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. कहा कि प्रशासन और शासन इस स्कूल को लेकर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इसके कारण बच्चों की जान पर आफत बनी हुई है. कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है. ऐसे में जानबूझकर अपने बच्चों को मौत के मुंह में नहीं धकेल सकते. उन्होंने सरकार के आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा देने की बात को काटा है. कहा कि एक तरफ सरकार आदिवासी क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा पर जोर देने की बात कहती है तो दूसरी ओर इस तरह के विषयों पर बच्चों को शिक्षा से वंचित करने जैसा प्रतीत होता है.


बालोद से दानवीर साहू की रिपोर्ट