अविनाश पटेल/सक्ती: छत्तीसगढ़ (CG News) के राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन के एक साल पूरे हो गए हैं. गौरतलब है कि एक मासूम के लिए पूरे देश ने दुआएं मांगी और पूरे 5 दिन के अभियान के बाद आखिरकार ऑपरेशन राहुल को सफलता मिली थी. ये 5 दिन किसी जंग से कम नहीं थे,जिसने मानवता के मामले में नई कहानी लिखी थी. बता दें कि ऑपरेशन में काम कर रहे कर्मचारी, अधिकारी, मीडियाकर्मी सभी एक जंग लड़ रहे थे  और जून की झुलसती गर्मी में भी न किसी को भूख प्यास न नींद सबकी बस एक ही कोशिश थी कि किसी तरह राहुल को बचाना है.


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सक्ती में हुई थी घटना
तत्कालीन जांजगीर और वर्तमान में सक्ती जिले के छोटे से गांव पिहरीद में एक मासूम के बोरवेल के गढ्ढे में गिरने की खबर आग की तरह फैल गई थी और देखते ही देखते जिला प्रशासन से लेकर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ सहित प्रदेश के कई बड़े अधिकारी पिहरिद पहुंच चुके थे और बोरवेल से मासूम को बाहर निकालने की कवायद शुरू हो चुकी थी. जैसे-जैसे ऑपरेशन शुरू हुआ तो चट्टान चुनौतियां बनकर सामने आने लगी. प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी संवेदनशीलता दिखाते हुए लगातार पूरे ऑपरेशन पर नजर रखी और हर संसाधन उपलब्ध कराए गए जो ऑपरेशन के लिए जरूरी लगने लगे जैसे-जैसे समय गुजरता गया. हर दिन लगता था कि आज ऑपरेशन पूरा हो जाएगा,लेकिन हर रात के साथ निराशा बढ़ती जा रही थी. ऐसे में परिजनों का हाल बेहाल था दुआओं का दौर शुरू हो चुका था.


बता दें कि मासूम को निकालने के सारे प्रयास लगातार जारी थे, रोबोटिक तकनीक हो या फिर देश की सेना सब ऑपरेशन में शामिल हो चुके थे. तमाम लोग मिलकर एक जंग जमीन के उपर लड़ रहे थे, तो दूसरा जंग जमीन के अंदर अकेले वो मासूम लड़ रहा था. जहां उसके साथी थे एक मेंढक और एक सांप,देखते देखते 14 जून हो चुकी थी. चट्टान की चुनौतियों के बाद अब मानसून का खतरा भी मंडराने लगा था, लेकिन ये उस मासूम की हिम्मत और मां धरती का आशीर्वाद था कि आज हम सब सफलता के साक्षी बने. आज राहुल सकुशल अपने परिवार के साथ है, अब राहुल और उसका परिवार उस दौर को याद कर सिहर उठता है.