CG Chunav: वो सीटें जिन पर खड़े एक जैसे नाम के कई प्रत्याशी, वोटिंग से पहले देखें कौन किसका उम्मीदवार
Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 17 सीटे हैं, जहां एक ही नाम के एक से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. पहले चरण की 20 में से 3 सीट पर हमनाम उम्मीदवार हैं, तो दूसरे चरण की 70 सीटों में से 14 सीट ऐसे हैं, जहां एक ही तरह के एक से ज्यादा नाम वाले प्रत्याशी उतरे हैं. कई प्रत्याशियों के नाम और सरनेम एक जैसे हैं.
Chhattisgarh Election 2023: शेक्सपियर ने कहा था, 'नाम में क्या रखा है' .... लगातार कई शहरों के नाम बदलने के बाद पिछले कई समय से भारतीय राजनीतिक चौराहों पर भी यही पंचायत होती है कि 'नाम में क्या रखा है' ..... लेकिन छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में नाम के फेर में उलटफेर भी हो सकता है. यहां के प्रत्याशियों के नामों पर ध्यान देंगे तो आप भी बोलेंगे नाम में सबकुछ रखा है, अगर चूके तो भ्रम में सत्ता कहीं की कहीं और चली जाएगी....
दरअसल, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 17 सीटे हैं, जहां एक ही नाम के एक से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. पहले चरण की 20 में से 3 सीट पर हमनाम उम्मीदवार हैं, तो दूसरे चरण की 70 सीटों में से 14 सीट ऐसे हैं, जहां एक ही तरह के एक से ज्यादा नाम वाले प्रत्याशी उतरे हैं. कई प्रत्याशियों के नाम और सरनेम एक जैसे हैं. जैसे कवर्ध में बसपा से अकबर भाई और कांग्रेस से भी अकबर भाई मैदान में हैं. केशकाल से 2 दिनेश मरकाम चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा बस्तर से 2 लखेश्वर मैदान में हैं. इन तीनों सीटों पर पहले चरण में मतदान होना है.
इन सीटों पर भी एक जैसे नाम वाले प्रत्याशी
ऊपर बताई गई 3 सीटों के अलावा आरंग में 2 शिव डहरिया, कसडोर में 2 धनीराम व 2 संदीप साहू, तखतपुर में 3 दिनेश, पामगढ़ में 2 संतोष व 2 मयाराम, सक्ती में 2 खिलावन साहू, कोरबा में 2 लखनलाल, जांजगीर चांपा में 2 ब्यास कश्यप, प्रेमनगर में 2 खेलसाय और 2 भूलन सिंह, पाटन में 2 अमित, भटगांव में 2 पारसनाथ, प्रतापपुर 2 राजकुमारी व 2 शकुंतला, रामानुजगंज से 2 अजय, सीतापुर से 2 रामकुमार व जशपुर से 2 प्रदीप नाम के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.
पार्टी क्यों करती हैं ऐसा?
चुनाव के दौरान पार्टियां और प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वी को मात देने के लिए उसी के नाम वाले लोगों को ढूंढते हैं, ताकि समान नाम वाले एक से ज्यादा उम्मीदवारों के चक्कर में मतदाता कन्फ्यूज हो जाएं और इसका फायदा लिया जा सके. इसका असर उन सीटों पर ज्यादा देखने को मिलता हैं, जहां जीत का मार्जिन कम रहने वाला होता है.