Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबल अब एक तरह से निर्णायक लड़ाई शुरू कर चुके हैं, क्योंकि नक्सल मोर्चे पर पिछले पांच महीनों में कई बड़े ऑपरेशन चलाए गए हैं, जिनमें सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता भी मिली है. क्योंकि एक तरफ ऑपरेशन में नक्सलियों को ढेर किया जा रहा है तो दूसरी तरफ बातचीत का रास्ता भी खोल कर रखा गया है. क्योंकि छत्तीसगढ़ के बस्तर में शांति के लिए सरकार हर कदम उठाने के लिए तैयार है. 


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नक्सलियों के घर में पहुंचे जवान


नक्सलवाद छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नासूर जख्म है. सूबे में नक्सल मोर्चे पर हजारों जवानों की शहादत के बावजूद आजतक इस नासूर को जड़ से उखाड़ कर नहीं फेंका जा सका है. लेकिन पिछले कुछ महीने में नक्सलियों के लिए खिलाफ बड़े अभियान चलाए गए हैं, अब सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के सुरक्षित माने जाने वाले इलाकों में भी पहुंच गए हैं, यानि उनकी मांद में घुसकर जिस तरह के ऑपरेशन हुए हैं वो छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तरफ इशारा कर रहा है. 


375 का सरेंडर 112 ढेर 


आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले करीब 5 महीनों में मुठभेड़ में 112 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है, तो करीब 375 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. वहीं करीब 400 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है और जमीन पर भी इसका असर भी दिख रहा है. खास बात यह है कि सुरक्षाबलों की सख्ती के बाद कई नक्सली भी अब हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं. 


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3200 से भी ज्यादा मुठभेड़  


छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के नासूर को इससे भी समझा जा सकता है कि गृह विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2001 से मई 2019 तक प्रदेश में 3200 से अधिक मुठभेड़ की घटनाएं हुई हैं, जहां 1002 माओवादी मारे गए है. वहीं इस दौरान 1234 सुरक्षाबलों के जवान नक्सल मोर्चे पर शहीद हुए है. इसके अलावा 1782 आम नागरिक भी माओवादी हिंसा के शिकार हुए हैं. जबकि इस दौरान 3896 माओवादियों ने समर्पण भी किया है. हालांकि इस साल अब तक हुई नक्सलियों पर कार्रवाई के साथ ही कुछ मामले एनआईए को भी सौंपे जाने की खबर है. सुरक्षाबल नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, खुफिया तंत्र मजबूत हुआ है और लगातार मिली कामयाबी से जोश हाई है. यह जानकारी बस्तर रेंज के आईजी सुन्दरराज पी ने दी है. 


बातचीत का रास्ता भी खोला 


खास बात यह है कि नक्सलवाद के खिलाफ सख्ती से बात नहीं हो रही है, बल्कि सरकार ने नक्सलियों से बातचीत का रास्ता भी खोल रखा है. वहीं सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन भी जारी है. इसके अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास के कामों में भी तेजी लाई गई है. नक्सल मोर्चे पर नई योजना के साथ ही नई पुनर्वास नीति भी जल्द लागू होने वाली है, ताकि हिंसा का रास्ता छोड़ने वाले नक्सलियों को हर योजना का लाभ मिल सके. 


हालिया दिनों में जिस तरह से नक्सलवाद पर प्रहार हुआ है उसके बाद नक्सली बैकफुट पर साफ नजर आ रहे हैं. न सिर्फ लोकसभा का चुनाव करीब-करीब शांतिपूर्ण रहा बल्कि उनके कई अन्य नापाक मंसूबे भी नाकाम हुए हैं, ऐसे में माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों को और भी सफलताएं मिल सकती हैं. 


रायपुर से सत्यप्रकाश की रिपोर्ट


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