नई दिल्ली: लोगों की गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वाहनों को खरीदने और उसके रख-रखाव में खर्च हो जाता है. खास हो या आम मोटरसाइकिल से लेकर चार पहिया वाहनों का उपयोग हर वर्ग के लोग करत हैं, लेकिन किसी कारणवश वाहन से दुर्घटना के बाद पुलिस द्वारा वाहनों को जब्त कर थानों में जमा कर दिया जाता है. जहां सालों-साल तक वाहन थानों में रखे-रखे काबाड़ में तब्दील हो जाते हैं. जी हां, छत्तीसगढ़ के सूरजपुर, धमतरी, बेमेतरा, सरगुजा, मुंगेली, कोरबा जिलों से जो थानों की तस्वीरें सामने आई है, वो इस बात की गवाही दे रही है कि वो थाना कम कबाड़खाना ज्यादा लग रहा है. 


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दरअसल इन जिलों में वाहनों की स्थिति इस तरह हो गई है कि वो अब चलाना तो दूर उन्हें यहां से निकालना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि सालों से थानों में खड़ी ये गाड़ियां रख-रखाव के अभाव के कारण जमीन के नीचे व घास के बीच दफन हो गई हैं. आईये जानते हैं किन थानों में क्या है स्थिति...


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सूरजपुर थाना बना कबाड़ खाना
सूरजपुर जिले के सभी थानों में कबाड़ गाड़ियों की भरमार है. जिसकी वजह से थाना कम और कबाड़खाना ज्यादा लगता है. इसकी मुख्य दो वजह बताई जाती है. एक तो न्यायिक प्रक्रिया में देरी और दूसरी पीड़ित के द्वारा क्लेम ना किया जाना. दरअसल थानों में कबाड़ में तब्दील ज्यादातर वह गाड़ियां हैं, जिन की प्रक्रिया अभी न्यायालय में विचाराधीन है या फिर दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वाहन चालक के द्वारा क्लेम नहीं किया गया है. पुलिस के आला अधिकारी के अनुसार दोनों ही परिस्थितियों में पुलिस कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि दिन प्रतिदिन ऐसी कबाड़ गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है और थाना कबाड़ खाने में तब्दील होता जा रहा है. हालांकि जिले के पुलिस अधीक्षक इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा एक मुहिम चलाई जाएगी. जिसमें डिस्पोज करने लायक वाहनों को डिस्पोज किया जाएगा और संबंधित वाहन मालिक से वाहन का क्लेम करने के लिए समझाएं दी जाएगी.


थाने में महंगी गाड़ियां कबाड़ हो रही
धमतरी जिले में अलग-अलग मामलों में पुलिस थाने में महंगी गाड़ियां कबाड़ हो रही है. जब्त की गईं गाड़ियां थाना परिसर में सड़ रही हैं. ये जब्त छोटी-बड़ी गाड़ियां कबाड़ में भी बिकने लायक नहीं रह गईं. थानों में ये गाड़ियां उचित रख-रखाव के कारण जमीन के नीचे व घास के बीच दफन हो गई हैं. कई गाड़ियों के कल-पूर्जे तक गायब हो गए हैं. लेकिन कभी इन गाड़ियों की नीलामी के लिए थानेदार से लेकर पुलिस कप्तान तक रुचि नहीं लेते हैं. क्योंकि यह मामला कोर्ट से जुड़ा होता है. अगर इन गाड़ियों की समय पर नीलामी हो जाती तो लाखों रुपये मिल जाते.


न्यायालय में लंबित मामले की वजह से स्थिति
वहीं मुंगेली थाने में जब्त की गई गाड़ियां कबाड़ हो रही है. थाने में इन गाड़ियों को रखने के लिए जगह नहीं बची है. जो गाड़ी एक बार थाने में जब्त होती है. उनका निकलना बहुत मुश्किल सा हो जाता है. गाड़ियां थाने में पड़ी-पड़ी कबाड़ हो जाती है. उनके पार्ट्स गायब हो जाते है. गाड़िया चलने लायक नहीं रह जाती. वजह ये नहीं कि पुलिस गाड़ियों को आरोपी या प्रार्थी को सुपुर्द नहीं करती. बल्कि वजह इसकी कई है. इस मामले पर मुंगेली SP से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब किसी मामले में कोई गाड़ी को पुलिस जब्त करती है या पकड़ती है तो उसका पूरा डिटेल उस घटित हुई घटना के साथ माननीय न्यायालय को भेज दिया जाता है. कुछ मामले ऐसे है, जिसमें गाड़ियों को न्यायालय तुरंत छोड़ने का आदेश दे देती है और वो गाडियां तुरन्त थाने से छूट भी जाती है. कुछ मामले ऐसे होते जिसमे जब तक न्यायालय से जब तक आदेश नहीं आता तब गाड़ियों को नहीं छोड़ा जाता है. 


करोड़ों के वाहन हुए कबाड़
आपको बता दें कि बेमेतरा जिले में जिले के सभी थानों में लगभग करोड़ों के वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं. जिसको लेकर कलेक्टर और एसपी इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिए हैं. अदालती फैसले के इंतजार में कबाड़ हो गई लाखों की संपत्ति मजबूरी ऐसा की इन्हें ना लौटा सकते हैं ना राजसात कर सकते और ना ही बेच सकते हैं. वहीं इस मामले को लेकर कलेक्टर और एसपी से पूछा गया तो एसपी का कहना हैं कि कई गाड़ियां न्यायालय अधीन है और कई गाड़ियां में कलेक्टर सक्षम होती हैं. नीलामी के लिए और कबाड़ वाहनों के नीलामी के लिए कलेक्टर साहब को प्रकरण बनाकर भेजा जाएगा और जल्द ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. वहीं कलेक्टर ने कहा अगर एसपी से गाड़ियों की प्रकरण आती है तो जो नीलामी करने लायक गाड़ी है, उसको नीलामी किया जाएगा और जो कबाड़ हो चुके हैं उस गाड़ियों को कबाड़ में बेचने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. 


जरूरतमंदों को मिले वाहन
सरगुजा जिले में चौकी और थाने मिलाकर एक दर्जन थाने हैं. जहां दुर्घटनाओं की वजह से कई वाहनों थानों में खड़ी है तो कहीं चोरी के गाड़ियों की जब्ती बनाकर थानों में रखा गया है. लेकिन वाहन मालिकों द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाने की वजह से यह गाड़ी कई सालों-साल तक खड़ी रहती हैं. जिसके बाद यह वाहन काबाड़ में तब्दील हो जाता है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सभी वाहनों की जानकारियां पुलिस अधीक्षक को आरटीओ विभाग से जानकारी लेकर वाहनों की नीलामी करना चाहिए. जिससे कि थानों में रखे-रखे वाहन काबाड़ ना बने और जरूरतमंदो को यह वाहन मिल सके. इधर सरगुजा पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने बताया कि कई ऐसे वाहन होते हैं वाहन के मालिकों का पता नहीं होता है तो कहीं चोरी के वाहन होते हैं. हालांकि 3 महीने 6 महीने में वाहनों की नीलामी की जाती है.


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थानों में गाड़ी खड़े रहने की जगह नहीं
चोरी, दुर्घटना, अवैध कार्यों मे लिप्त वाहन की जब्ती और बरामदगी सहित लावारिस वाहनों से इस समय कोरबा शहर के थाने और चौकियां भरे पड़े हैं. आलम यह है कि थानों में अब और दूसरी गाड़ियों को खड़ा करने की जगह तक नहीं है. यहां के थाना परिसर के भीतर और बाहर खड़ी लावारिस और चोरियों की बरामद गाड़ियों को देख पहली नजर में तो ये किसी कबाड़ी का डंपिंग स्टेशन लगते हैं, जबकि इन गाड़ियों को जब्त करने वाली पुलिस के लिए भी अब यह लावारिस वाहन सिरदर्द बन गए हैं. वहीं कोरबा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कहना हैं कि जब्त वाहनों की वापसी के लिए वाहन मालिक कोर्ट से आवेदन कर सकते है. कोर्ट की अनुमति के बाद उनको वाहन वापस कर दिया जाता है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने आगे बताया कि कुछ वाहन के मालिक कोर्ट में वापसी के लिए आवेदन ही नहीं लगाते, ज्यादातर ऐसे वाहन मालिक जिनके पास गाड़ी के कागजात, ड्राइवर के पास लाइसेंस, या वैध दस्तावेज नहीं होते वहीं वाहन की वापसी के लिए कोशिश नहीं करते और वही गाड़ियां बेवजह थाने चौकियों में पड़ी रहती है.