Project Elephant Meeting Today in Chhattisgarh: आज विश्व हाथी दिवस है. छत्तीसगढ़ में ये दिवस बढ़- चढ़कर मनाया जाता है. आज हाथी दिवस पर प्रदेश भर में कई तरह के कार्यक्रम होंगे. इस कार्यक्रम में सीएम विष्णुदेव साय भी शामिल होंगे. इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य हाथियों का संरक्षण और सुरक्षा करना है.  छत्तीसगढ़ के कई जिलो में हाथियों की चहल- पहल देखी जाती है. गरियाबंद जिले की बात करें तो इस जिले में उदंती सीतानदी अभ्यारण है, यहां पर हाथियों के आने से कई बदलाव हुए हैं. जैसे यहां पर ग्रासलैंड का इलाका काफी ज्यादा बढ़ गया है. छत्तीसगढ़ में लगातार हाथियों की संख्या बढ़ रही है, दरअसल ओडिशा, झारखंड जैसे पड़ोसी राज्य के जंगलो में हो रहे मानवीय दखल के कारण ये हाथी नया ठिकाना ढूंढ़ते हुए छत्तीसगढ़ की तरफ रूख कर रहे हैं, जानिए क्यों हाथियों को रास आ रहा छत्तीसगढ़. 


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हाथियों का छत्तीसगढ़ की तरफ रूख 
छत्तीसगढ़ में लगातार हाथियों की संख्या बढ़ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह सामने आई है कि ओडिशा, झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों के जंगलो में हो रहे मानवीय दखल के कारण हाथी नए ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं. जिसकी वजह से उनका रूझान छत्तीसगढ़ की तरफ काफी ज्यादा हो गया है. मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि आज के लगभग 10 पहले पूरे प्रदेश में 150 हाथी थे, लेकिन अब इनकी संख्या ढाई गुना बढ़ गई है. इनकी बढ़ती हुई संख्या देखकर प्रदेश सरकार 3 नए कॅारिडोर भी बनाए हैं. बता दें कि पिछले 5 साल पहले सीतानदी- उदंती टाइगर रिजर्व में हाथी नहीं थे लेकिन अब सिकासार दल यहां पर अपना कुबना बनाने में जुट गया है. बढ़ते हुए कुनबे को देखते हुए 650 हेक्टेयर जंगल को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया गया है और हाथियों के लिए संरक्षित कर दिया गया है. 


बढ़ रही है संख्या 
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि साल 2013 में 12 हाथियों का झुंड महासमुंद जिले क बारनवापारा पहुंचा था. धीरे- धीरे इनकी संख्या बढ़ती चली गई, वन विभाग के मुताबिक प्रदेश में इस समय अनुमानित तौर पर 359 हाथी हैं.  इसमें सरगुजा में 125 हाथी, बिलासपुर में 192 हाथी, रायपुर सर्किल में 42 हाथी हैं. इसके अलावा धरमजयगढ़ वनमंडल में 108 हाथी हैं. साथ ही साथ बता दें कि झारखंड और ओडिशा से आने वाले हाथी छत्तीसगढ़ होते हुए एमपी और महाराष्ट्र की तरफ बढ़ जाते हैं.


किए जा रहे ये काम
छत्तीसगढ़ में हाथियों की उत्पात की कई खबरें सामने आती रही हैं. हालांकि हाथियों के उत्पात रोकने के लिए और इंसानों से इनका परिचय कराने के लिए तरह- तरह की चीजें की जा रही है. हाथियों से आम लोगों को अलर्ट रखने के लिए अलर्ट एप का प्रयोग किया जा रहा है. साल 2022 मई से ये ऐप प्रभावी भी हो गया है. 


करता है अलर्ट 
हाथियों से प्रभावित रहने वाले इलाके के लोगों का नंबर ऐस में अपलोड किए गए हैं. ऐसे में ऐप को संचालित करने वाले लोग हाथी की लोकेशन डालते हैं, जिसके बाद 10 किमी के अंदर तक अलर्ट पहुंच जाता है. इस ऐप से जनहानि में काफी ज्यादा कमी आई है. जो वन विभाग के लिए अच्छी सूचना है. 


मिलती है ये सुविधा 
उदंती सीतानदी अभ्यारण में हाथियों के लिए कई तरह से इंतजाम किए गए हैं. इन रेंज के जंगलों में हाथियों के लिए कुल्लू, छाल, बांस करिल, महुवा बेला, साल और तेंदू पेड़ का जड़ और पहाड़ी घांस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. पानी की सुविधा के लिए उदंती नदी और बारहमासी नाले का प्रयोग किया जा रहा है और तालाबों की संख्या भी बढ़ाई गई है. साथ ही साथ बता दें कि हाथियों के दल की निगरानी करने के लिए यहां पर 25 हाथी मित्र की ड्यूटी लगाई गई है. 


मनाया जाएगा हाथी दिवस 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज विश्व हाथी दिवस मनाया जाएगा, इस मौके पर  छत्तीसगढ़ में हाथियों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए प्रोजेक्ट एलीफेंट की कमेटी की बैठक भी होगी. मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि बैठक में हाथियों से होने वाले जान माल के नुकसान को लेकर भी चर्चा होगी. साथ ही साथ इनका कुनबा बढ़ने से रोजगार भी मिलेंगे. बता दें कि सरगुजा, जशपुर, कोरिया, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर, गरियाबंद, महासमुंद, सहित कई जिलों में हाथियों का प्रभाव देखा जाता है.  ऐसे में इसे कैसे रोक जाए इस पर भी चर्चा होगी. बता दें कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव सहित कई नेता पहुंचेंगे. 


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