रायपुर: प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिकता देने की मांग उठती रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. सीएम बघेल ने लिखा कि राज्य की 2 करोड़ 75 लाख जनता की भावना के अनुरूप आपसे अनुरोध है कि छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता से आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना आवश्यक है. कृपया इस पर विचार करें. 


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सीएम बघेल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
सीएम भूपेश बघेल ने अपने पत्र में लिखा कि राज्य में छत्तीसगढ़ी की उपबोलियां और कुछ अन्य भाषाएं भी प्रचलन में हैं, लेकिन राज्य की बहुसंख्या जनता की भाषा और अन्य क्षेत्रीय बोलियों के साथ संपर्क भाषा छत्तीसगढ़ी ही है. राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त की जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ी को आगे किया गया है. साथ ही हर साल 28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया जाता है. राज्य के विकास के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन भी किया गया है.


सीएम बघेल ने बताया छत्तीसगढ़ी भाषा का इतिहास
छत्तीसगढ़ी भाषा के इतिहास को बताते हुए सीएम बघेल ने लिखा कि छत्तीसगढ़ी का व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय ने तैयार किया था, जिसका संपादन और अनुवाद प्रसिद्ध भाषाशास्त्री जार्ज ए. ग्रियर्सन ने किया था, जो सन 1890 में जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में प्रकाशित हुआ था. यही नहीं, छत्तीसगढ़ का विपुल और स्तरीय साहित्य उपलब्ध है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है.


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आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा यह अवगत कराया जाता रहा है कि छत्तीसगढ़ी समेत देश की अन्य भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना विचाराधीन है. इस पर सीएम बघेल ने पीएम मोदी से अपील करते हुए लिखा कि छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता से आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना आवश्यक है. इस पर विचार कर सकारात्मक निर्णय लें.


सीएम बघेल के पत्र पर बीजेपी की प्रतिक्रिया
वहीं सीएम बघेल के पत्र पर बीजेपी की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है. बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि श्रेय लेने की राजनीति नहीं होनी चाहिए, कोशिश हमारी भी है. बीजेपी ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए आवाज उठाई है. 


आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल 
गौरतलब है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हैं, इनमें असमिया, उड़िया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी, हिंदी है. 


क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344(1) और 351 के अनुसार, आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाओं की मान्यता शामिल है. वे संविधान की आठवीं अनुसूची में संरक्षित हैं. संविधान के अनुच्छेद 29 में यह प्रावधान है कि नागरिकों के एक हिस्से को एक अलग भाषा, लिपि या संस्कृति का अधिकार है जो उसे संरक्षित करते हैं.


8वीं अनुसूची में शामिल होने से मिलेंगे ये लाभ
- स्कूल, कॉलेजों की किताब छत्तीसगढ़ी में उपलब्ध हो पाएगी. अपनी भाषा में पढ़ने और एग्जाम्स देने के अपने फायदे हैं


- यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ी एक भाषा के रूप में शामिल हो सकेगी. इससे छत्तीसगढ़ी भाषी युवाओं को फायदा होगा


- 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के विकास के लिए सरकार अनुदान देती है. अनुदान का उपयोग भाषा को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने और उससे जुड़ी नई चीजें ढूंढ़ने में किया जाता है.


- अनुसूची में शामिल भाषाओं के कवियों और साहित्यकारों को हर तरह से प्रोत्साहित किया जाता है, इससे बेहतरीन रचनाएं लोगों के सामने आती हैं. प्रोत्साहन से छत्तीसगढ़ी साहित्य का लेवल और ऊंचा उठेगा


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