वैभव शर्मा/ग्वालियर: एक वक्त बागी-बीहड़ों का गढ़ रहे ग्वालियर चंबल संभाग में इन दिनों साइबर क्राइम की चर्चा है. बात अगर अकेले ग्वालियर जिले की करें तो साल 2020 में साइबर अपराधों में पिछले साल 2019 की अपेछा तीन गुना इजाफा हुआ है. साल 2019 में जहां साइबर क्राइम से जुड़ी 200 शिकायतें आयी थीं, वहीं 2020 में 550 शिकायतें दर्ज की गई हैं.


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बैंकिंग फ्रॉड में हुआ इजाफा
कोरोना वायरस की वजह से करीब 6 महीने लॉकडाउन प्रभावी रहा है. ऐसे में बैंक कर्मचारियों से लेकर बैंक उपभोक्ता घरों में रहे. लिहाजा ऑनलाइन बैंकिंग का चलन अधिक रहा. साइबर पुलिस के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन बैंकिंग के जरिये ठगी के कई मामले सामने आए थे, जिनमें बैंक कर्मचारी तक शामिल रहे. इस साल साइबर क्राइम में करीब 400 से ज्यादा शिकायतें ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और बैंकिंग फ्रॉड की आयीं हैं.


सोशल मीडिया पर होने वाला क्राइम
आज के समय मे अधिकांश लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हैं. फिर चाहे बात फेसबुक की हो या फिर ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे दूसरे प्लेटफॉर्म की. पुलिस अधिकारियों की मानें तो लॉक डाउन के दौरान लोगों ने सोशल साइट्स पर भरपूर समय बिताया, ऐसे में क्राइम की संभावना भी बढ़ जाती है. इस साल करीब 135 शिकायतें सोशल मीडिया के जरिये सामने आयीं हैं.


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साइबर क्राइम में आरोपी को पकड़ना होता है मुश्किल
पुलिस के मुताबिक साइबर क्राइम पूरी तरह डिजिटल क्राइम है. लिहाज एक कंप्यूटर के इस्तेमाल से ही दुनिया के किसी भी शहर में अपराध घटित किया जा सकता है. अधिकांश घटनाओ में देखा गया है कि साइबर फ्रॉड शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश के बाहर से ही अपना काम कर लेते हैं. ऐसे उन्हें पकड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है.


क्या है साइबर अपराध
साइबर अपराध को 'इलेक्ट्रॉनिक अपराध' के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा अपराध है, जिसमें किसी भी अपराध को करने के लिए, कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क का उपयोग, एक वस्तु या उपकरण के रूप में किया जाता है. ऑनलाइन ठगी साइबर क्राइम का सटीक उदाहरण है. इस अपराध में पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, कंप्यूटर से व्यक्तिगत डेटा हैक करना, अवैध डाउनलोडिंग, साइबर स्टॉकिंग, वायरस प्रसार, सहित कई प्रकार की गतिविधियां शामिल हैं.


सावधानी रखना बेहद जरूरी
साइबर अपराध का शिकार होने से बचना है तो सावधानी रखना बेहद जरूरी है. इस प्रकार की ठगी से तभी बचा जा सकता है, जब ऑनलाइन लेन-देन करते समय हम सतर्क और सावधान रहें. हमें सूचनाओं को सार्वजनिक करते समय भी सूझबूझ का परिचय देने की आवश्यकता है. बैंक निर्देशों का पालन करते हुए भी अपनी निजी जानकारियां साझा नहीं करनी चाहिए.


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