भिंड: चंबल घाटी के दुर्दांत आत्म समर्पित दस्यु मोहर सिंह की आज 92 वर्ष की उम्र मृत्यु हो गई. उन्होंने मंगलवार को मेहगांव स्थित अपने पैतृक आवास पर अंतिम सांस ली. मधुमेह रोग होने की वजह से वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे. मोहर सिंह की मौत की खबर सुनकर उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई.


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मोहर सिंह दस्यु होने के बावजूद भी गरीबों की मदद करते थे. जिसके लिए गरीब लोग उन्हें मसीहा की तरह पूजते थे. उनके बारे में कहा जाता है कि वो बागी रहते हुए भी कई गरीबों की मदद करते थे. गरीब कन्याओं की शादी के लिए पैसे देते थे. मोहर सिंह मेहगांव नगर पालिका के पंचायत परिषद अध्यक्ष भी रह चुके थे. कहा जाता है कि अपने जमाने में मोहर सिंह पुलिस को भी एनकाउंटर की खुली चुनौती दे चुके थे.


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1960 के दशक में उन पर 2 लाख का इनाम भी घोषित किया गया था. पुलिस इनको वर्षों तक गिरफ्तार करने के लिए तलाश करती रही. मोहर सिंह के बारे में कहा जाता था कि जब इन्होंने जरायम की दुनिया में कदम रखा था तो बीहड़ के गुंडे इन्हें नौसिखिया समझते थे और इनसे बात तक नहीं करते थे. जब उन्हें किसी ने अपने गैंग में शामिल नहीं किया तो उन्होंने खुद ही 150 लोगों का गैंग बना लिया.


पुलिस रिकॉर्ड में मोहर सिंह और उनके गैंग के नाम 80 से ज्यादा हत्याएं और 350 से ज्यादा लूट, अपहरण, डकैती और हत्या की कोशिशों के मामले दर्ज रहे हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ज्यादातर पुलिस वाले और पुलिस-मुखबिर को ही अपना निशाना बनाया था. जिससे पुलिस ने इन पर ज्यादा मुकदमें लगा दिये थे.


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कहा जाता है कि जब चंबल घाटी में मान सिंह राठौर, तहसीलदार सिंह (मानसिंह और तहसीलदार पिता-पुत्र), डाकू रूपा, लाखन सिंह, गब्बर सिंह, लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का पंडित, माधो सिंह (माधव), फिरंगी सिंह, देवीलाल, छक्की मिर्धा, रमकल्ला और स्योसिंह जैसे खूंखार बागी-गैंग अपने चरम या फिर खात्मे की ओर थे. तब इन्होंने अपने गैंग की शुरुआत की थी.