मालवा: अफीम किसानों को कोरोना से ज्यादा इनका है खतरा, सुरक्षा के लिए दे रहे पहरा
अफीम के डोडे तैयार हैं और नॉरकोटिक्स विभाग द्वारा अफीम न लेने की वजह से अफीम की सुरक्षा किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है. सुरक्षा के मद्देनजर किसान अपने खेतों से डोडे से अफीम निकाल कर घर में रखने के लिए मजबूर हो गए हैं.
प्रितेश शारदा/मालवा: काला सोना यानी अफीम की खेती के लिए सारे देश में अलग पहचान रखने वाले मालवा क्षेत्र में इन दिनों किसान बहुत चिंतित हैं. उनकी चिंता का कारण लॉकडाउन की वजह से केंद्रीय नॉरकोटिक्स विभाग द्वारा किसानों से अफीम नहीं लेना है. अफीम के डोडे तैयार हैं और नॉरकोटिक्स विभाग द्वारा अफीम न लेने की वजह से अफीम की सुरक्षा किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है. सुरक्षा के मद्देनजर किसान अपने खेतों से डोडे से अफीम निकाल कर घर में रखने के लिए मजबूर हो गए हैं.
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बता दें कि अफीम की सुरक्षा के लिए किसान अपने घरों के बाहर दिन रात पहरा देने को मजबूर हैं. अफीम किसानों का कहना है की अफीम का केंद्र सरकार द्वारा लाइसेंस दिया जाता है. उसके बाद अफीम की फसल उगाई जाती है. अप्रैल के महीने में नॉरकोटिक्स विभाग में तोल के लिए अफीम जमा करवानी होती है लेकिन वर्तमान समय में केंद्र सरकार द्वारा अफीम लेने के लिए कोई भी निर्देश जारी नहीं किए हैं.
इन हालात में अफीम धीरे-धीरे सूखती जा रही है. यदि समय रहते अफीम नहीं ली गई तो लाइसेंस कटने का भी डर बना रहता है. इस वजह से किसानों को अफीम की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही संभालनी पड़ रही है.
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बता दें कि मालवा में सरकारी लाइसेंस पर अफीम उत्पादन होता है लेकिन कुछ लोग चोरी-छिपे इसकी तस्करी भी करते हैं. इस वजह से किसानों को चोर, लूटेरों और तस्करों से खतरा भी रहता है. वहीं इस मामले में इलाके के सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है इस बारे में भारत सरकार और लोकल प्रशासन से वो बात कर रहे हैं और जल्दी इस मामले में कोई फैसला हो सकता है.