दमोह में एक नहीं बल्कि चार डॉक्टर्स ने त्यागा अपना परिवार, कोरोना के संकट में दिन रात करेंगे मरीजों की सेवा
दमोह में एक नहीं बल्कि चार डॉक्टर्स ने कोरोना संकट की इस घड़ी में समर्पण और सेवा का बड़ा उदहारण पेश किया है. इन डॉक्टर्स ने अब अपने परिवार से नाता तोड़कर संकल्प लिया है की जब तक संकट खत्म नहीं हो जाता ये लोग जिला अपस्ताल को ही अपना घर बनाकर 24 घंटे मरीजों की सेवा करेंगे.
महेंद्र दुबे/दमोह: मध्यप्रदेश के इंदौर में करोना पीड़ितों की सेवा करते हुए दो डॉक्टर अपनी जान गवा चुके हैं. इसके बाद भी डॉक्टरों का जुनून कम नहीं हुआ है. प्रदेश के दमोह में एक नहीं बल्कि चार डॉक्टर्स ने कोरोना संकट की इस घड़ी में समर्पण और सेवा का बड़ा उदहारण पेश किया है. इन डॉक्टर्स ने अब अपने परिवार से नाता तोड़कर संकल्प लिया है की जब तक संकट खत्म नहीं हो जाता ये लोग ना ही सिर्फ परिवार से दूर रहेंगे बल्कि जिला अपस्ताल को ही अपना घर बनाकर 24 घंटे मरीजों की सेवा करेंगे.
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बताया जा रहा है कि दमोह जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी अस्पताल परिसर में रहकर ही पूरे समय अपनी ड्यटी निभा रही थी जिसे देखकर जिला अस्पताल के तीन और डॉक्टर्स को प्रेरणा मिली.
डॉ. दिवाकर पटेल, डॉ. राजेश नामदेव और डॉ. विशाल शुक्ला ने भी ये निर्णय लिया की संकट के दौर में वो पूरे समय मरीजों की सेवा करेंगे. इन डॉक्टर्स ने जिला अस्पताल के ही कमरों को अपना घर बना लिया है और वो दिन रात यहीं रह रहे हैं.
इन सेवाभावी डॉक्टर्स का कहना है कि मरीजों का इलाज करते-करते वो भी इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं लिहाजा परिवार से दूरी जरुरी है. उनका यह भी कहना है कि आस-पास के जिलों जबलपुर और सागर में सामने आये करोना पीड़ितों के बाद दमोह का सुरक्षित रह पाने की संभावना कम है. ऐसे में डॉक्टर्स को मरीजों की सेवा में ततपर रहने की जरूरत है. इसी वजह से वो पूरे समय जिला अपस्ताल में ही रहकर मानव सेवा करना चाहते है.
बता दें कि इन डॉक्टर्स के इस कदम की हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग इनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं. वहीं इन डाक्टरों ने लोगों से लॉक डाउन का पालन करने की अपील की है. डॉक्टर्स का कहना है कि इस वायरस से बचने का एक मात्र उपाय सोशल डिस्टेंस और सावधानी है.