Blood Sugar: आज के दौर में खानपान और व्‍यस्‍त जीवनशैली के चलते लोगों को तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं. इनमें सबसे कॉमन ब्‍लड शुगर की प्रॉबलम है. इसे लेकर लोगों में कई तरह की गलत जानकारियां भी फैली हुई हैं और उन्हें कई तरह के भ्रम भी हैं. ऐसे में आइए ब्‍लड शुगर को लेकर काफी कॉमन गलतफहमी को दूर करते हैं. जानिए कि ब्‍लड शुगर होने पर यह कितना खतरनाक हो जाता है. इसके अलावा एक सामान्‍य शख्स की बॉडी में ब्‍लड शुगर कितना होना चाहिए-    


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शुगर के कितने प्रकार होते हैं- 
विशेषज्ञ बताते हैं कि डायबिटीज की बीमारी कई कारण से होती है. यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों में कभी भी हो सकती है. इनका मुख्य कारण ब्लड शुगर होता है. डायबिटीज मुख्य रूप से दो तरह की होती है- टाइप वन डायबिटीज और  टाइप टू डायबिटीज.
- टाइप वन डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनने की रफ्तार कम हो जाती है, जिस वजह से शरीर में ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है. 
- टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन तो बनती है, लेकिन इंसुलिन रजिस्टेंस की वजह से इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं पाता है. ऐसे में ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है. 


कितना होना चाहिए ब्लड शुगर
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक शरीर में फास्टिंग ब्लड शुगर का नॉर्मल स्‍तर 100 Mg/dl से कम होता है. इसके अलावा पोस्ट मील (यानी खाने के सेवन के बाद) शुगर लेवल 120 से 140 के बीच होता है. ऐसी स्थिति में यह प्री डायबिटीज की श्रेणी में आता है. अगर ऐसी स्थिति में ब्लड शुगर को नियंत्रित कर लिया जाए तो डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है.


कब होती है डायबिटीज
हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल 160 Mg/dl से ज्यादा होता है तो ये डायबिटीज की श्रेणी में आ जाता है. हालांकि डायबिटीज को पूरी तरह से कंफर्म करने के लिए HbA1c टेस्ट किया जाता है. यह व्यक्ति के शरीर में पिछले तीन महीनों तक ब्लड शुगर रिकॉर्ड निकाल देता है. इसमें लगातार गिरावट या बढ़ोतरी के स्तर देखकर डायबिटीज की पुष्टि की जाती है, जिसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. 


Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम आपको विनम्रता पूर्वक यह सूचित करना चाहते हैं कि ZEE MP-CG किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. यह एक साधारण जानकारी है, जो कि सामान्य जागरुकता पर आधारित है. इसकी वैधानिक पुष्टि नहीं की जा रही है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित सक्षम विशेषज्ञ से सलाह लेकर उसे क्रियान्वयन के स्तर पर लेकर आएं.