भोपाल: हाथरस गैंग रेप का असर मध्यप्रदेश के उपचुनाव में भी देखने को मिल रहा है. उत्तरप्रदेश में बीजेपी सरकार के होने से मध्यप्रदेश बीजेपी को एससी वोटरों के खिसकने का डर सताने लगा है. इस उपचुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. यह वह सीटें हैं जहां पर एससी वोटर निर्णायक साबित होते हैं. जिसके लिए बीजेपी कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एससी वोट पाने के लिए अपनी ताकत झोंक रही है.


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बीजेपी की कवायद शुरू
बीजेपी उपचुनाव में एससी मोर्चे के जरिये आज से वोटरों को साधने की कोशिश करेंगी जिसके लिए कवायद शुरू कर दी है. बीजेपी ने एससी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को उपचुनाव वाली वो सीटें जहां एससी वोटर निर्णायक है वहां मोर्चा मैदान में उतर कर एससी वोटरों को साधने में जुटेगी. मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना हैं कि एससी मोर्चे ग्वालियर क्षेत्र की उपचुनाव वाली सीटों के लिए कार्यक्रम है. जिसके लिए लाल सिंह आर्य राष्ट्रीय नेता काम करेंगे.


कांग्रेस बनाएगी मुद्दा
कांग्रेस हाथरस की घटना को उपचुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है. कांग्रेस ने एससी-एसटी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी है कि इस उपचुनाव में बीजेपी का दलित विरोधी चेहरा सामने लाये. इसके लिए कांग्रेस भाजपा को दलित विरोधी भी बता रही है. कांग्रेस ने एससी-एसटी मोर्चे के जरिए सभी ग्वालियर चंबल 16 उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा का दलित विरोधी चेहरा बताएगी. कांग्रेस प्रदेश के महामंत्री राजीव सिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ बढ़ते दुष्कर्म जैसी घटनाओं और हाथरस जैसी घटना को लेकर ही कांग्रेस चुनावी मैदान में है.


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सत्ता के लिए याद आई एससी-एसटी
दरअसल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एससी वोटरों का साथ मिला था यही वजह है कि जिन सीटों पर ग्वालियर क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है वह सभी कांग्रेस की झोली में आई थी और अब बीजेपी बिल्कुल नहीं चाहती है कि इस बार भी एससी वोटरों का हाथ कांग्रेस के साथ बना रहे. यही वजह है कि बीजेपी अब एससी वोटरों को साधने में जुटी हुई है. वही कांग्रेस भी मैदान में इस उम्मीद के साथ जुटी हुई है कि 2018 में एससी वोटरों का साथ मिला था और 15 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. इसलिए फिर से एससी वोटरों को कांग्रेस भाजपा दूर कर अपने पक्ष में करने जुटी हुई है.


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