नई दिल्ली: सीमा ढाका दिल्ली पुलिस की पहली ऐसी पुलिसकर्मी बनी है, जिन्हें गुमशुदा बच्चों को ढूंढने पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है. अपनी बारी से पहले तरक्की पाकर हवलदार से सीधे एएसआई बनी सीमा की पुलिस महकमे में काफी प्रशंसा हो रही है. इस समय वह आउटर नार्थ डिस्ट्रिक के समयपुर बादली थाने में तैनात है. उन्हें यह सम्मान दिल्ली पुलिस की एक स्कीम के तहत दिया गया है, जिन्होंने दिल्ली समेत कई राज्य से गुमशुदा 76 बच्चों को ट्रेस किया था. सीमा ने बताया कि मोबाइल बच्चों को खोजने में सबसे अहम भूमिका निभाते है.


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56 बच्चे छोटी सी उम्र के
हेड कांस्टेबल सीमा द्वारा ट्रेस किए गए गुमशुदा बच्चों में 56 चौदह वर्ष से भी कम उम्र के हैं, बच्चों को ट्रेस करने को लेकर पुलिस आयुक्त ने इस साल पांच अगस्त को इनसेंटिव स्कीम लांच की थी, जिसके तहत कहा था कि जो कोई भी कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल पचास या उससे ज्यादा गुमशुदा बच्चों को ढूंढ कर निकलेगा उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा.


मोबाइल की सबसे अहम भूमिका
सीमा कहती हैं कि गुमशुदा बच्चों को ढूंढने में सबसे अहम भूमिका मोबाइल फोन की होती है. कई केस में देखा गया है कि गुमशुदा बच्चे किसी तरह घरवालों को फोन कर देते हैं, जिसके बाद हम मोबाइल की जानकारी निकालकर जल्द से जल्द बच्चों तक पहुंच जाते है. अधिकतर बच्चे ऐसे परिवारों के होते है, जो किराए पर रहते हैं या जिनके माता-पिता काम के सिलसिले में जगह बदलते रहते है. उन्होंने कहा गुमशुदा बच्चों के परिजनों को अपना फोन नंबर कभी नहीं बदलना चाहिए और अपना पता बदलने पर पुलिस को इसकी जानकारी देनी चाहिए.


बच्चों की उम्र कम रखी थी
गुमशुदा बच्चों की उम्र सीमा चौदह साल से कम रखी गई थी और पंद्रह ऐसे बच्चों को ढूंढना था जिनकी उम्र आठ साल से भी कम हो. स्कीम में सालभर में पंद्रह से ज्यादा बच्चों को ट्रेस करने के लिए पुलिसकर्मियों को असाधारण कार्य पुरस्कार से नवाजे जाने की बात भी कही गई थी.


तीन महीने से पहले किया टार्गेट पूरा
पुलिस कर्मी सीमा ने ढाई महीने के अंदर ही बच्चों को ढूंढने के लिए मिले टारगेट को पूरा कर लिया. उन्होंने दिल्ली के अलावा पंजाब, पश्चिम बंगाल से लापता बच्चों को ट्रेस करने में भी कामयाबी पाई. हेड कांस्टेबल सीमा ढाका तीन जुलाई साल 2006 में दिल्ली पुलिस कांस्टेबल में भर्ती हुई थी. कुछ सालों में प्रमोशन होने पर वह हेड कांस्टेबल बनी जिसके बाद उनकी पोस्टिंग साल 2012 तक साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक में ही रही. 



लापता बच्चों की संख्या है अधिक
31 दिसंबर 2019 तक 5412 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट सामने आई थी. इनमें से 3336 बच्चों की ही पुलिस खोज कर पाई थी. इस साल की बात करें तो जनवरी 2020 से इस अक्टूबर तक 3507 बच्चे गायब हुए, जबकि 2629 बच्चे ही ढूंढे जा सके हैं. हालांकि पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और बेहतर नतीजे हासिल होंगे.


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पुलिस का उत्साह बढ़ेगा
दिल्ली पुलिसकर्मियों का मानना है कि बारी से पहले तरक्की मिलने पर दूसरे पुलिसकर्मियों का उत्साह बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा लापता बच्चे को ढूंढा जा सकेगा. दिल्ली पुलिस ने इस साल अगस्त तक 1440 लापता बच्चों को ढूंढा है. इनमें से आधे बच्चे अपराधिक प्रवत्ति के तरफ भी बढ़ गए थे.  


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