इंदौर: इंदौर में पिछले दिनों पकड़ाई 70 किलो एमडीएमए (Methyl​enedioxy​methamphetamine) ड्रग्स मामले में एडीजी योगेश देशमुख ने रविवार को बड़ा खुलासा किया. इंदौर पुलिस ने इस मामले में मुंबई और नासिक से 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें एक नाम वसीम खान का भी है,  जो टी सीरीज (T Series) के मालिक गुलशन कुमार हत्याकांड का आरोपी भी रहा है. सबूतों के आभाव में वह कोर्ट से बरी हो गया था. वह नासिक का रहने वाला है. वसीम खान गैंगस्टर अबू सलेम गैंग का पुराना सदस्य रहा है. 


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दूसरा नाम अय्यूब कुरैशी का है जो मुंबई का रहने वाला है. वह 1993 मुंबई बम धमाकों का आरोपी रहा है. उसे 5 साल की सजा हुई थी.  अय्यूब कुरैशी बम कांड की सजा काटने के बाद मुंबई में पार्किंग का काम करता है. दरअसल, पार्किंग का काम तो सिर्फ दिखावा है. वह असल में ड्रग्स का धंधा करता है. इंदौर पुलिस ने 70 किलो एमडीएमए ड्रग्स मामले में अब तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. 


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आपको बता दें कि बीते 5 जनवरी को इंदौर पुलिस ने एक ड्रग रैकेट पकड़ा था. इस गिरोह के पास से 70 किलो एमडीएमए ड्रग्स जब्त हुआ था. पकड़े गए आरोपियों से पुलिस की पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं. आरोपियों से पूछताछ के आधार पर ही अय्यूब कुरैशी और वसीम खान को गिरफ्तार किया है. दोनों का पिछता आपराधिक रिकॉर्ड देखकर ऐसा लगता है कि ड्रग्स के तार अंडरवर्ल्ड और भारत के बाहर दूसरे देशों को तक जुड़े हो सकते हैं.


ड्रग्स को इंदौर और आसपास के इलाकों में लाने का जिम्मा मंदसौर के चिमन नाम के शख्स का था. वह हैदराबाद के वेदप्रकाश व्यास से नशा खरीदता और उसे कई अलग.अलग तरीकों से इंदौर और अन्य शहरों तक लाता. वेद प्रकाश की हैदराबाद में मेडिसिन लैब है, जिसमें दवाइयां बनाई जाती हैं. पुलिस इस बात की तफ्तीश करने हैदराबाद भी गई थी कि कहीं लैब में ड्रग्स तो तैयार नहीं हो रहा था. 


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इंदौर में 100 करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स खपा चुका है चिमन
आरोपी वेद प्रकाश व्यास के ड्राइवर ने पूछताछ में बताया कि यह गिरोह अब तक 100 करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स इंदौर में खफा चुका है. कोरोना काल में भी आरोपी नशे की खेप लेकर आते थे. कभी ट्रकों के अंदर मुर्गी दाना की कोडिंग कर ड्रग्स लाते तो कभी पीथमपुर की फार्मा कंपनियों में सप्लाई किए जाने वाला पाउडर बताकर.


क्या होता है MDMA ड्रग?
मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन (MDMA) या मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है. यह एक केमिकली मोडिफाइड ड्रग होता है जिसे एक्सटेसी भी कहा जाता है. लगभग हर देश में इसके कोड नेम हैं. इस ड्रग को सूंघकर और पानी में मिलाकर भी लिया जाता है. नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत 1000 से 15000 रुपए तक है.


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मेफेड्रोन को आमतौर पर म्याऊं-म्याऊं के नाम से जाना जाता है और पार्टियों में अवैध तरीके से नशे के लिए इस्तेमाल होता है. म्याऊं-म्याऊं का नाइजीरिया और अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. पार्टी ड्रग्स के तौर पर इसका भारत में इस्तेमाल हाल के दिनों में खासा बढ़ गया है. MDMA ड्रग को कई देशों खासकर अमेरिका व लैटिन अमेरिकी देशों में ब्लू स्टफ (Blue Stuff) के नाम से जाना जाता है.


अधिकतर लोग इसे मस्ती के लिए लेते हैं. ज्यादा मात्रा में लेने पर यह ड्रग जानलेवा भी साबित होता है.  यह ड्रग आपको उत्साहित करता है, भ्रामक स्थितियां पैदा करता है, शक्ति और सुकून महसूस कराता है. यदि आपने मशहूर अमेरिकन क्राइम ड्रामा सीरीज ब्रेकिंग बैड (Breaking Bad) देखी है तो MDMA ड्रग्स और उसके प्रभाव को आसानी से समझ सकते हैं. यह पूरी सीरीज ही इस ड्रग्स के कारोबार पर बनी है.


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