Indore News: मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के सांवेर में स्थित उल्टे हनुमान मंदिर भारत का एक अनोखा धार्मिक स्थल है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति उल्टी मुद्रा में विराजमान है, जिसका सिर पाताल की ओर और पैर आसमान की ओर हैं. मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां से हनुमान जी पाताल गए थे और अहिरावण से युद्ध करके राम-लक्ष्मण को लेकर आए थे. मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, खास तौर पर कोर्ट-कचहरी और बीमारियों से जुड़ी समस्याओं के लिए.


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इस मंदिर में क्यों उल्टे खड़े हैं बजरंगबली
यह मंदिर इंदौर जिले के सांवेर में स्थित है, जो इंदौर से करीब 25 किलोमीटर दूर उज्जैन के रास्ते पर है. इस मंदिर को उल्टा हनुमान मंदिर या पाताल विजय हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह वह स्थान है जहां से हनुमान जी राम-रावण युद्ध के दौरान पाताल लोक गए थे. रामायण काल ​​में जब राम और रावण के बीच युद्ध हुआ तो रावण के भाई अहिरावण ने राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताल लोक ले गया. हनुमान जी ने अवंतिका धाम से पाताल लोक में गोता लगाया. जब वे पाताल लोक जा रहे थे तो उनका सिर पाताल की ओर और पैर आकाश की ओर थे. तब से यह स्थान चेतन है और स्वयंभू हनुमान जी यहां विराजमान हैं.


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जानें इसकी रोचक कहानी
यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान अष्टमी मनाई जाती है. यह वही दिन था जब हनुमान जी भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को लेने पाताल लोक गए थे. रामायण काल ​​में लोग जानते थे कि हनुमान जी पाताल लोक से विजयी होकर लौटेंगे. इस दिन से ही लोगों ने उनकी जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था, इसीलिए यहां हनुमान अष्टमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. हर मंगलवार और शनिवार को यहां भारी भीड़ होती है.


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मंदिर जाने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं!
यह मंदिर कई सौ साल पुराना है. पहले यहां एक छोटा सा डेयरी जैसा मंदिर हुआ करता था. कई साल पहले जब उज्जैन में कुंभ मेला लगता था तो यहां साधुओं की टोलियां रुकती थीं. कई महात्माओं ने यहां सालों रहकर साधना और सत्संग किया. मान्यता है कि यहां दर्शन करने मात्र से ही लोगों के जीवन की सारी परेशानियां पल भर में दूर हो जाती हैं. कई लोग यहां मन्नतें मांगने आते हैं, खासकर कोर्ट-कचहरी, राजनीति या स्वास्थ्य संबंधी मामलों को लेकर. मान्यता है कि यहां लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने पर यहां बाबा को चोला चढ़ाया जाता है. चोला चढ़ाने के लिए कई महीनों तक इंतजार करना पड़ता है. 


रिपोर्ट- पुष्पेन्द्र चतुर्वेदी