जयवर्धन ने ज्योतिरादित्य को गद्दार कहा तो तुलसी सिलावट बोले- आपके पूर्वजों के गद्दारी के किस्से गिना दूं क्या?
जयवर्धन ने ट्वीट कर कहा- `सिंधिया के लिए सत्य के मायने अलग हैं. 1857 में जो गद्दारी की थी, उस समय उसको भी यह सत्य की जीत का नाम ही देते थे.जयवर्धन के आरोप पर आग बबूला हुए तुलसी सिलावट ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा- `आप उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था पर आज हद पार कर दी.
भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव की जंग में विकास और आम लोगों के मुद्दों की बात न होकर प्रत्याशी एक दूसरे पर निजी हमले कर रहे है. 'गद्दार' वाले बयान पर बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हुए है. वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहने पर सांवेर से भाजपा के उम्मीदवार तुलसी सिलावट आग बबूला हो गए. गद्दारी वाले बयान पर तुलसी सिलावट ने ट्वीट रिप्लाई कर कहा, 'आप उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था, लेकिन आज हद पार कर दी. दिग्गी के परिवार के अकबर से लेकर जाकिर नाइक तक के किस्से गिना दूं क्या?'
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ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना
जयवर्धन ने ट्वीट कर कहा- 'सिंधिया के लिए सत्य के मायने अलग हैं. 1857 में जो गद्दारी की थी, उस समय उसको भी यह सत्य की जीत का नाम ही देते थे. जो सत्य था आज इतिहास उसका गवाह है. उसके बाद उन्होंने लिखा प्रदेश की 28 सीटों पर हार के डर से इमरजेंसी में दुगनी कीमत पर खरीदी की गई है.बस यही कहना चाहता हूं कि इतिहास घांस की रोटी खाने वालों के साथ खड़ा है.'
तुलसी सिलावट ने दिया जवाब
जयवर्धन के आरोप पर आग बबूला हुए तुलसी सिलावट ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा- 'आप उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था पर आज हद पार कर दी. शिवसेना के सामना और कई अखबार आपके पूर्वजों की देश और धर्म के साथ गद्दारी के किस्सों से रंगे पड़े हैं. एक शीर्षक है- मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे दिग्गी के पूर्वज.और हां शिवसेना के उद्धव जी ने जिन शब्दों के साथ आपके परिवार का आदर किया था। उनसे भी उसका खंडन करवाएंगे क्या?
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बयान पर पलटवार करते हुए जयवर्धन ने कहा कि इसका खंडन तो किया था, वो बात अलग है कि वो सामना में नहीं छप सकता है. हमारे यहां एक गांव है विजयपुर, जिसका नाम विजयपुर तात्या टोपे द्वारा अंग्रेजों पर विजय के उपरांत रखा गया था। उस युद्ध में हमारे पूर्वजों का भी सहयोग था. जीवित सबूत भी मौजूद है, ज्यादा जानकारी के लिए विजयपुर ही चले जाएं. संत पीपाजी हमारे पूर्वज हैं. हमारे परिवार के पास हिन्दूपत की उपाधि है। संत पीपाजी और हिन्दूपत के वारे में जानकारी प्राप्त कर लें इतिहास का पता चल जाएगा. इस पर तुलसी ने जवाब दिया बोले, 'पीपाजी का नाम लेकर मुगलों की और अंग्रेजों की मुखबिरी को जस्टिफाई करने की कोशिश मत कीजिए हुजूर. बात निकली है, तो बहुत दूर तक जाएगी.
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