भोपाल: भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर भोपाल आ रहे हैं. वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात करेंगे. तय कार्यक्रम के अनुसार सिंधिया और सीएम के मुलाकात का वक्त करीब 1 घंटे तक का है. ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली से सोमवार सुबह 10:30 बजे फ्लाइट से भोपाल पहुंचेंगे.


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यहां कुछ स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद वह दोपहर 1:30 बजे सीएम शिवराज से मुलाकात करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान सिंधिया मंत्रिमंडल और निगम मंडल में अपने लोगों को शामिल कराने को लेकर चर्चा कर सकते हैं. आपको बता दें कि शिवराज सरकार में मंत्री रहे सिंधिया समर्थक 3 नेताओं को बीते उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. वहीं दो मंत्रियों ने उपचुनाव के पहले ही इस्तीफा दे दिया था.


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इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना उपचुनाव से पहले शिवराज सरकार में मंत्री थे, लेकिन हार के बाद इनको अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं तुसलीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने उपचुनाव से पहले ही मंत्री पद छोड़ दिया था, क्योंकि दोनों बिना विधायक रहे मंत्री पद पर 6 महीने रह चुके थे. नियमों के मुताबिक मंत्री पद पर रहने वाले नेता को शपथ लेने से 6 महीने के अंदर विधानसभा या विधानपरिषद में किसी एक सदन का सदस्य होना निर्वाचित होना पड़ता है.


सिलावट और राजपूत यह शर्त पूरा नहीं कर रहे थे, इसलिए दोनों को इस्तीफा देना पड़ा था. अब दोनों ने उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा की सदस्यता हासिल कर ली है. दिसंबर में विधानसभा का सत्र होना है ऐसे में सिंधिया इन दोनों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल करवाने के लिए पहल कर सकते हैं.


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सिंधिया समर्थक चार विधायकों को भी उपचुनाव में मिली थी हार
सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया, इमरती देवी और एंदल सिंह कंसाना के अलावा रघुराज सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और मुन्नालाल गोयल भी उपचुनाव हार चुके हैं. ऐसे में सिंधिया की कोशिश है कि निगम मंडल और संगठन में वह अपने लोगों को शामिल करा सकें. इससे सरकार और संगठन में उनकी भागीदारी बनी रहेगी.


हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से होने वाली मुलाकात को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि पार्टी में सभी नेता एक दूसरे से मिलते-जुलते रहते हैं. इसका दूसरा कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. समय-समय पर केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ सांसद और अन्य वरिष्ठ नेता एक दूसरे से मुलाकात करते रहते हैं.


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