भोपाल: मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिलों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को बांटे गए घटिया चावल के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह चावल घोटाला सिर्फ बालाघाट और मंडला तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके तार पूरे राज्य में फैले हुए हैं. इसलिए मामले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए.


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कमलनाथ ने सिलसिलेवार तीन ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, ''शिवराज सरकार में ये क्या हो रहा है? प्रदेश में कहीं चावल घोटाला, कही गेहूं में मिलावट, कहीं यूरिया वितरण में फर्जीवाड़ा. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System) से गरीबों को बटने वाला चावल पोल्ट्री ग्रेड का होने का मामला सिर्फ बालाघाट व मंडला तक ही सीमित नहीं है, इसके तार पूरे प्रदेश से जुड़े होने का अंदेशा है. यह एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ रहा है. इसमें बड़ी मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है.''


उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, ''सरकार यह पूरा मामला सीबीआई को सौंपे. क्योंकि ये जनहित से जुड़ा मुद्दा है. इसकी प्रदेश स्तर तक निष्पक्ष जांच हो, इसके किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाए. ऐसा लग रहा है कि सरकार जांच के पूर्व ही इस घोटाले को दबाने में लग गई है. पूरे प्रदेश में गरीबों को बंटने वाले चावल व अन्य राशन सामग्री की भी जांच होनी चाहिए.
पूर्व में भी इसमें मिलावट के मामले सामने आ चुके हैं.''



दरअसल केंद्र सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी राज्यों पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त वितरण करने के लिए राशन मुहैया कराया है. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के भी सभी जिलों में मुफ्त राशन वितरण किया जा रहा है. मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी. भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वालिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला.


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इस मामले के प्रकाश में आने के बाद से ही कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर है और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रही है. चूंकि मामला केंद्र सरकार के संज्ञान है इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना देर किए पूरे राज्य में गरीबों को वितरित किए चावल की जांच के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए एफसीआई अधिकारियों के नेतृत्व में एक टीम का गठन भी किया गया है. दोनों जिलों के पीडीएस अधिकारियों पर कारवाई करने के साथ 8 राइस मिलों को सील कर दिया गया है. 10 राइस मिलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं.


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