Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव के ऑफर को ठुकरा कर सियासी बहस को समाप्त कर दिया है. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लालू यादव ट्रेंड कर रहे हैं. लोग अब उनकी इस छटपटाहट का कारण जानना चाहते हैं.
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Lalu Yadav Politics: बिहार की सियासत में बीते एक सप्ताह के अंदर कई रंग देखने को मिले. पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी की खबरें सामने आईं, फिर नीतीश कुमार को राजद अध्यक्ष लालू यादव की खुला ऑफर मिला. जिसके बाद अब मुख्यमंत्री ने लालू यादव के ऑफर को ठुकरा कर सियासी बहस को समाप्त कर दिया. इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर लालू यादव काफी ट्रेंड कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि राजद अध्यक्ष एक बार फिर से नीतीश कुमार से मात खा गए. तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लालू यादव ने ऑफर करके अपनी बेइज्जती कराई है. लोग अब उनकी इस छटपटाहट का कारण जानना चाहते हैं.
लालू यादव की पूरी कवायद के पीछे सिर्फ एक बाप का दिल है. दरअसल, हर मां-बाप का ये सपना होता है कि उनके बच्चे काफी तरक्की करें. उनकी चाहत होती है कि उनका बेटा कोई बड़ा काम करे या कोई बड़ा अफसर बने. एक अभिनेता चाहता है कि उसके बच्चे की फिल्में सुपरहिट साबित हों, उसे ढेर सारे अवॉर्ड मिलें. उसी तरह से एक राजनेता चाहता है कि उसका बेटा राजनीति के सबसे बड़े औधे पर पहुंचे. कुछ इसी तरह का सपना राजद अध्यक्ष लालू यादव के दिल-दिमाग में बसा हुआ है. राजद अध्यक्ष अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं. इसके लिए लालू यादव कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.
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लालू यादव की ख्वाहिश है कि वह अपने जीते-जी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दें. वैसे भी लालू के जमाने के कई नेता अपने बेटों को सीएम की कुर्सी तक पहुंचा चुके हैं. इनमें समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से तो लालू काफी प्रभावित होते रहे हैं. मुलायम ने अपने जीते-जी अखिलेश को सीएम बना दिया था. इसी तरह से जम्मू-कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला ने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला को सीएम की कुर्सी तक पहुंचा दिया हैं. झारखंड में शिबू सोरेन के जिंदा रहते हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गए हैं. पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने भी अपने बेटे एचडी कुमारस्वामी को कर्नाटक का सीएम बनते देखा है.
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यही वजह है कि लालू यादव कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. राजद अध्यक्ष ये भी जानते हैं कि बिहार की मौजूदा राजनीति के तीन स्तंभ हैं- बीजेपी, जेडीयू और राजद. इनमें से कोई भी दल अकेले सरकार नहीं बना सकता. यही कारण है कि लालू ने नीतीश कुमार को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की थी. 2015 में लालू-नीतीश ने एक साथ चुनाव लड़ा था, तब बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. जबकि उससे ठीक 6 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूरे देश में प्रचंड बहुमत हासिल किया था.
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