MP News: लोकसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस ने भले ही अपने प्रदर्शन को पहले से ठीक किया हो, लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी को एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस एमपी में इस बार अपना सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा तक गवां बैठी. प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को मिली हार के बाद अब पार्टी में भी रार दिखनी शुरू हो गई है. पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सीनियर विधायक अजय सिंह ने गुरूवार को पार्टी के सीनियर नेताओं पर सवाल खड़े किए थे, जिसके बाद अब पार्टी में रार खुलकर सामने आती दिख रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में एमपी कांग्रेस में बड़ी उठापटकर भी देखने को मिल सकती है. 


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सभी 29 सीटें हारी कांग्रेस


दरअसल, विधानसभा चुनाव में मिली हार को पीछे छोड़कर कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में कई बड़े बदलाव किए थे और लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन नतीजें एक बार फिर से कांग्रेस के खिलाफ में आए. पार्टी राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव हार गई. ऐसे में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के कामकाज पर भी सवाल उठे हैं. 2019 में कांग्रेस को केवल छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत मिली थी, लेकिन इस बार पार्टी छिंदवाड़ा में भी हार गई. जबकि कई सीटों पर पार्टी का हार का अंतर 3 लाख से लेकर पांच लाख वोट तक रहा है. विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर पार्टी जीती थी उन कई सीटों पर भी पार्टी को हार मिली है. जिसका असर अब दिखना शुरू हो गया है. 


अजय सिंह ने सबको घेरा 


कांग्रेस की करारी हार के बाद सबसे पहले पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सीनियर विधायक अजय सिंह ने नाराजगी जाहिर की है, उन्होंने बिना किसी का नाम लिए बगैर पार्टी में आए नतीजों के लिए उच्च स्तर पर समीक्षा किए जाने की बात कही है. उन्होंने कहा 'एमपी में कांग्रेस पार्टी और हाईकमान के बीच भी समन्वय का अभाव है, बड़े नेता पार्टी छोड़कर गए कोई उनको रोकने वाला नहीं था, केवल नाराजगी के चलते सुरेश पचौरी, रामनिवास रावत जैसे बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. इससे पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस की इतनी बड़ी हार कभी नहीं हुई है.'


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कमलनाथ-दिग्गी पर भी उठाए सवाल 


अजय सिंह यही नहीं रुके उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को लेकर भी कई सवाल किए हैं. अजय सिंह ने कहा एक वक्त पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल था, लेकिन दुर्भाग्य है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ही नहीं टिक सकी, 15 महीने चुनी हुई सरकार गिर गई, इसकी समीक्षा नहीं हुई. कांग्रेस में लगातार बड़े नेता पार्टी छोड़ते रहे, इसका सीधा फर्क साधारण कार्यकर्ता पर पड़ता है. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों दिग्गज नेता हैं, लेकिन यह अपने क्षेत्रों से बाहर क्यों नहीं निकलते हैं. पार्टी हाईकमान को इन सभी बातों की समीक्षा करनी चाहिए. अब प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को खुलकर कई कड़े और अहम फैसले लेने होंगे.


उमंग-यादव की मुलाकात से भी हलचल 


दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद अब पार्टी में खुलकर अंतर्कलह दिख रही है. वहीं नतीजों के बाद एक तरफ अजय सिंह ने खुलकर पार्टी के कई बड़े नेताओं पर सवाल खड़े किए हैं, दूसरी तरफ पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बीच भी नतीजों के बाद अचानक से मुलाकात हुई. जिसके बाद मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल शुरू हो गई. क्योंकि यादव और सिंघार दोनों नेताओं की गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती है. इसी तरह अजय सिंह विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से सबसे सीनियर विधायक हैं, उनके पास भी लंबा अनुभव हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस पार्टी में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं.


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