Sagar Lok Sabha Seat 2024: BJP का मजबूत किला है सागर Lok Sabha सीट, लगातार आठवीं जीत पर नजर
MP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल जल्द ही बजने वाला है. बीजेपी तीसरी बार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उतरने वाली है, तो कांग्रेस भी पूरा जोर लगा रही है. एमपी की 29 लोकसभा सीटें भी सबसे अहम मानी जा रही हैं, जिसमें सागर लोकसभा सीट पर भी सबकी नजरें हैं.
MP Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) का बिगुल बजने से पहले ही राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं, 2019 के चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा 28 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी. बीजेपी तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में वापसी की तैयारियों में जुटी है तो कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल भी पूरी ताकत लगा रहे हैं. मध्य प्रदेश की सागर लोकसभा सीट राज्य में बुंदेलखंड अंचल का केंद्र मानी जाती है. खास बात यह है कि यह सीट मध्य प्रदेश में बीजेपी का मजबूत किला मानी जाती है, जहां बीजेपी लगातार जीत हासिल कर रही है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से इस बार भी यहां कांग्रेस की राह आसान नहीं होने वाली. हम आपको सागर लोकसभा सीट के समीकरणों के बारे में बताएंगे.
BJP की लगातार 8वीं जीत पर नजर
सागर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने जनसंघ के जमाने से ही मजबूत पकड़ बना ली थी, भाजपा पिछले सात चुनावों से यहां लगातार जीत हासिल करती आ रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने यहां बड़े मार्जिन से कांग्रेस को हराया था, ऐसे में भाजपा की नजर लगातार 8वीं जीत पर हैं. कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर 1991 में जीत मिली थी, तब कांग्रेस के आनंद अहिरवार ने बीजेपी के राम प्रसाद अहिरवार को हराया था. फिलहाल राजबहादुर सिंह यहां से बीजेपी के सांसद हैं.
सागर लोकसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि
बात अगर सागर लोकसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की जाए तो देश के पहले आम चुनावों से ही यह सीट अस्तित्व में है, 1951 में यहां पहला चुनाव हुआ था, तब कांग्रेस के सोढिया खूबचंद यहां से जीत दर्ज की थी, जो सागर के पहले लोकसभा सदस्य बने थे. 1957 और 1962 में भी कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी. लेकिन 1967 के चुनाव में पहली बार भारतीय जनसंघ को यहां से जीत मिली, लेकिन 1971 में कांग्रेस ने वापसी की तो 1977 में भारतीय लोकदल को विजय श्री मिली. 1980 और 1984 में कांग्रेस की जीत की लहर सागर सीट पर भी बरकरार रही, लेकिन 1989 बीजेपी को पहली बार जीत का स्वाद मिला, 1991 में कांग्रेस ने यहां वापसी तो कर ली लेकिन यह पार्टी की आखिरी बार वापसी थी. क्योंकि 1996 से बीजेपी सागर लोकसभा सीट पर अंगद के पांव की तरह जम गई. पार्टी चेहरे बदलती रही और जीत हासिल करती रही, यह सिलसिला 2019 में भी जारी रहा.
सागर लोकसभा सीट पर अब तक कुल 17 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से बीजेपी अब तक 8 लोकसभा चुनाव जीत चुकी है, जबकि कांग्रेस ने 7 बार जीत हासिल की है, इसके अलावा जनसंघ और भारतीय लोकदल को भी इस सीट पर एक-एक बार जीत मिली मिली थी.
सागर लोकसभा में आती हैं 8 विधानसभा सीटें
सागर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें सागर जिले की पांच सीटें सागर, बीना, खुरई, सुरखी और नरयावली शामिल हैं, जबकि तीन सीटें विदिशा जिले की सिरोंज, कुरवाई और शमशाबाद शामिल है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है, इन 8 सीटों में से भाजपा ने 7 सीटों पर जीत हासिल की है, इस हिसाब से सागर लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी की ही बढ़त नजर आती है.
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सागर लोकसभा सीट का सामाजिक तानाबाना
भारत की राजनीति में समाजिक समीकरणों की चर्चा हमेशा से होती रही है, चुनावों में तो इस चर्चा को और धार मिल जाती है, ऊपर से बात अगर बुंदेलखंड की हो तो फिर जातिगत राजनीति में चार चांद लग जाते हैं, क्योंकि यहां की सियासत की नब्ज में ही जाति है. सागर लोकसभा सीट के सामाजिक तानेबाने नजर डाले तो यहां की 72.01 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 27.99 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है, 22.35 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति वर्ग से आती है, जबकि 5.51 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) वर्ग की है, ओबीसी वर्ग 20 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से के साथ प्रभावी भूमिका निभाता हैं, जबकि ब्राह्मण और राजपूत वर्ग भी राजनीतिक दलों की नजर रहती है, सागर जिला मुख्यालय जैन बहुल रहता है, इसके अलावा कुरवाई, सिरोंज और सुरखी जैसी सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग भी अपनी उपयोगिता दिखाता है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को इस बार भी यहां प्रत्याशी के चयन में माथापच्ची करनी पड़ेगी.
सियासत का केंद्र रहा है बुंदेलखंड
देश में जब भी राजनीति की बात जब भी होती है तो बुंदेलखंड अक्सर चर्चा के केंद्र में आ ही जाता है, चाहे वह प्रदेश की सियासत हो या केंद्र की राजनीति की, बुंदेलखंड में समस्याएं अनेक होती हैं, जबकि समाधान नजर से ओझल नजर आते हैं. सागर बुंदेलखंड अंचल का सबसे बड़ा जिला तो है लेकिन इसकी तस्वीर समस्याओं से जुदा नहीं है. पानी आज भी इस अंचल में मुख्य समस्या नजर आती है, जिसका सीधा असर खेती पर दिखता है, अच्छे उद्योग न होने से रोजगार के साधन दूर-दूर तक नजर नहीं आते, जिससे युवाओं का पलायन होता है, ऐसे में पलायन अब एक और बड़ी समस्या बनकर इस क्षेत्र में सामने आई है. इसके अलावा सागर लोकसभा सीट पर बीड़ी उद्योग एक वक्त रोजगार का अच्छा साधन माना जाता था, जो आज के वक्त में नीरस नजर आता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार भी सागर लोकसभा सीट पर इस बार भी चुनाव दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि यही मुद्दे फिर सियासी दलों की जुबान पर होंगे.
ऐसा रहा था 2019 का परिणाम
आखिर में बात 2019 में सागर लोकसभा सीट के परिणामों की जाए तो यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी के राजबहादुर सिंह और कांग्रेस के प्रभुसिंह ठाकुर के बीच हुआ था. जहां चुनाव में राजबहादुर सिंह ने प्रभुसिंह ठाकुर को 3 लाख 55 हजार 42 वोटों से चुनाव हराया था. फिलहाल यहां से बीजेपी और कांग्रेस में कई दावेदार नजर आ रहे हैं, मोहन सरकार बनने के बाद बुंदेलखंड अंचल में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं, ऐसे में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस की तरफ से भी यहां चौंकाने वाला चेहरा सामने आ सकता है.
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