पहले चरण में MP की 6 लोकसभा सीटों पर 88 प्रत्याशी मैदान में, तीन पर दिख रहा त्रिकोणीय मुकाबला
MP Lok Sabha Chunav: मध्य प्रदेश में पहले चरण की 6 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव की स्थिति साफ हो चुकी है, 6 सीटों पर 88 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन कुछ सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मध्य प्रदेश की 6 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है, लेकिन इन 6 सीटों में 3 पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है. जबकि छिंदवाड़ा सीट पर भी तीसरा दल हार-जीत में अहम साबित हो सकता है, वहीं बाकि की 2 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला दिख रहा है. जिन तीन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना है, उनमें से 1 सीटें आरक्षित हैं, जबकि 2 सीट सामान्य है.
इन तीन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय
पहले चरण में जबलपुर, शहडोल, छिंदवाड़ा, सीधी, मंडला और बालाघाट में वोटिंग होनी है, जिनमें से सीधी, बालाघाट और मंडला में मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, जबकि छिंदवाड़ा में भी तीसरा दल अहम भूमिका निभा सकता है. जबलपुर और शहडोल में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही नजर आ रहा है, ऐसे में जहां मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है, वहां बीजेपी और कांग्रेस ने नए सिरे से भी समीकरण बिठारने शुरू कर दिए हैं, क्योंकि अब वोटिंग में 18 दिन से भी कम का समय बचा है, ऐसे में सभी पार्टियों ने भी प्रचार तेज कर दिया है.
पत्नी कांग्रेस विधायक, पति बसपा प्रत्याशी
बालाघाट विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, क्योंकि बालाघाट विधानसभा सीट से कांग्रेस की महिला विधायक अनुभा मुंजारे के पति कंकर मुंजारे बसपा के टिकट पर बालाघाट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने यहां सम्राट सरस्वार को टिकट दिया है तो बीजेपी ने डॉ. भारती पारधी को प्रत्याशी बनाया है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय है, सबसे ज्यादा परेशान फिलहाल कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे नजर आ रही हैं, क्योंकि वह पार्टी के पक्ष में प्रचार में जुटी हैं, लेकिन उनके पति बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में वह पत्नी धर्म निभाएं या पार्टी धर्म इसको लेकर समस्या है.
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दमदार हैं बसपा प्रत्याशी
बालाघाट लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ओबीसी वर्ग से हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सरस्वार सवर्ण यानि ठाकुर वर्ग से हैं. ऐसे में यहां बसपा अहम फैक्टर में नजर आ रहा है. क्योंकि बसपा प्रत्याशी कंकर मुंजारे तीन बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं, ऐसे में उनका क्षेत्र में अच्छा असर हैं, इसके अलावा बालाघाट लोकसभा सीट पर उनकी पकड़ भी मानी जाती है. जिससे मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है.
मंडला में गोंगपा बिगाड़ सकती है खेल
आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित मंडला लोकसभा सीट पहले चरण की हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल हैं, क्योंकि बीजेपी की तरफ से मोदी सरकार में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते फिर से चुनाव मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस ने अपने सीनियर विधायक ओमकार सिंह मरकाम को उतारा है, दोनों प्रत्याशियों के बीच यह दूसरा मुकाबला है, इससे पहले 2014 में कुलस्ते ने मरकाम को चुनाव हराया था. लेकिन गोडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी महेश कुमार वट्टी यहां दोनों प्रत्याशियों का गेम बिगाड़ सकते हैं. क्योंकि मंडला में गोंगपा का असर माना जाता है, महेश कुमार वट्टी कई नाट्य और लघु फिल्मों में काम कर चुके हैं, वट्टी एमए, एलएलबी पास हैं, जबकि गोंडी साहित्यकार भी हैं, इससे मंडला और डिंडौरी जिले में वह युवाओं के बीच लोकप्रिय नजर आते हैं. यही वजह है कि गोंगपा ने उन्हें टिकट दिया है. मंडला में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है, जिसमें गोंगपा की अहम भूमिका होगी.
BJP के बागी ने डेढ़ी की सीधी की राह
सीधी लोकसभा सीट पर शुरुआत में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही नजर आ रहा था. लेकिन बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देकर गोंगपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं, ऐसे में बीजेपी नेता की बगावत से यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है. बीजेपी ने यहां डॉ. राजेश मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को प्रत्याशी बनाया है, ऐसे में अजय प्रताप सिंह के मुकाबले में आ जाने से चुनाव रोचक दिख रहा है, क्योंकि अजय प्रताप सिंह की क्षेत्र में पकड़ मानी जाती है.
सीधी में जातिगत समीकरण अहम
सीधी लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण अहम माने जाते हैं. बीजेपी ने यहां ब्राह्राण वर्ग से आने वाले प्रत्याशी को टिकट दिया है, ऐसे में कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा लेकिन अजय प्रताप सिंह ठाकुर वर्ग से आते हैं, ऐसे में तीन अलग-अलग जाति के प्रत्याशियों के मैदान में होने से वोटों का धुर्वीकरण होना तय माना जा रहा है. सीधी सीट ब्राह्मण, ठाकुर और ओबीसी के साथ-साथ आदिवासी बहुल मानी जाती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है.
छिंदवाड़ा में भी गोंगपा उपयोगी
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर यूं तो सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में नजर आ रहा है, एक तरफ कांग्रेस सांसद नकुलनाथ अपना गढ़ बचाने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी के विवेक बंटी साहू दिल्ली जाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, लेकिन दोनों के बीच गोंगपा प्रत्याशी देवीराम भलावी भी अहम भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में गोंगपा प्रत्याशी ने अच्छे खासे वोट लिए थे, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को हुआ था और वह चुनाव जीतने में सफल रहे थे. छिंदवाड़ा की तीन सीटें अमरवाड़ा, जुन्नारदेव और पांढुर्णा में आदिवासी वोटर्स सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में यहां गोंगपा प्रत्याशी का सीधा असर रहता है.
तीनों सीटों पर आदिवासी वोटर्स अहम
जिन तीन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, उनमें एक ही बात कॉमन है कि तीनों सीटों पर आदिवासी वोटर्स अहम भूमिका में नजर आ रहा है, ऐसे में आदिवासी वोटर्स इस बार बीजेपी और कांग्रेस का खेल इन तीनों सीटों पर बिगाड़ सकते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोटर्स को भी लुभाने में जुटी हैं.
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