MP Politics: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद अब उपचुनावों की गहमागहमी शुरू हो गई है. एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है तो वहीं एक राज्यसभा सीट भी खाली हो गई है, ऐसे में यहां भी उपचुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में राजनीतिक दलों ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. मध्य प्रदेश में विधायकों के संख्याबल के हिसाब से राज्यसभा की सीट बीजेपी को मिलना तय है. ऐसे में इस सीट पर अभी से कई नामों की चर्चा शुरू हो गई है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार राज्यसभा में किसे मौका मिलेगा.  इस राज्यसभा सीट पर निर्वाचित होने वाले सांसद का कार्यकाल दो साल से ज्यादा का रहेगा. 


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जातीय समीकरण पर होगा ध्यान 


माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की खाली लोकसभा सीट पर बीजेपी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही अपने प्रत्याशी का चयन करेगी. क्योंकि हाल ही में तीन राज्यसभा सीटों पर भी बीजेपी जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा था. पार्टी ने तीन राज्यसभा सीटों पर ओबीसी, अनुसूचित जाति और महिला प्रत्याशी को मौका दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार किसी सवर्ण को मौका देगी. इसके अलावा बीजेपी किसी नए और चौंकाने वाले चेहरे को भी मौका दे सकती है. 


इन नेताओं की दावेदारी 


राज्यसभा सीट के लिए राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व सांसद केपी यादव और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी किसी दूसरे चेहरे पर भी दांव लगा सकती है. क्योंकि यह तीनों नेता लोकसभा चुनाव के दौरान पूरी तरह सक्रिए रहे थे. नरोत्तम मिश्रा को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट पर बीजेपी को 20 हजार से भी ज्यादा वोटों की लीड दिलाई थी. नरोत्तम मिश्रा न्यू जॉइनिंग कमेटी के अध्यक्ष रहे थे. इस दौरान उन्होंने कई कांग्रेसी नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाया था. जिससे लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पूरी तरह से परेशान दिखी और नतीजों में बीजेपी को भारी बढ़त मिली थी. खास बात यह भी है कि नरोत्तम मिश्रा की गिनती गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों में होती है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें इस बार राज्यसभा भेज सकती है. 


शाह ने दिए थे केपी के संकेत 


इसके अलावा एक और नाम की चर्चा सबसे ज्यादा चल रही है, वह है पूर्व सांसद केपी यादव. केपी यादव ने ही 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था. लेकिन बाद में बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में इस सीट पर इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका मिला, लेकिन एक सभा के दौरान अमित शाह ने कहा था कि केपी यादव का ख्याल वह रखेंगे. यादव उनकी जिम्मेदारी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद चुने जाने के बाद केपी यादव को ही बीजेपी राज्यसभा भेज सकती है. 


पवैया और भार्गव भी दावेदार 


इसके अलावा पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव भी दावेदार हैं. क्योंकि सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में भाजपा में आए थे. ऐसे में जयभान सिंह पवैया लंबे समय से न तो कोई चुनाव लड़ पाए और न ही उन्हें पार्टी में कोई दूसरा मौका मिला था. जबकि वह बीजेपी के फॉयरब्रांड नेता माने जाते हैं. पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं  और राम मंदिर आंदोलन के दौरान सक्रिए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है. वहीं एक और दावेदार विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव हैं, भार्गव ने अपनी सीट पूर्व सीएम के लिए खाली की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी सर्वण चेहरे के तौर पर उन्हें भी भेज सकती है. 


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