PM Narendra Modi Bulandshahr: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से 2024 के चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाले हैं. पीएम यहां एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे, जिसके लिए उत्तर प्रदेश बीजेपी की प्रदेश टीम कई दिनों से तैयारियों में जुटी है, माना जा रहा है कि इस रैली के साथ बीजेपी एक तरह से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर देगी.  लेकिन 2024 के चुनावी अभियान का बिगुल फूंकने के लिए पीएम मोदी ने बुलंदशहर को ही क्यों चुना, इसके कई सियासी समीकरण हैं. 


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इन कारणों से चुना गया बुलंदशहर 


कहते हैं कि अगर किसी दल को दिल्ली की सत्ता पर बैठना तो उसका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें आती हैं, ऐसे में जो यहां जीता उसका रास्ता आसान हो जाता है.  2014 के लोकसभा चुनाव की शुरुआत भी बीजेपी ने बुलंदशहर से ही की थी, जो पार्टी के लिए लकी रहा था, जबकि पश्चिमी यूपी के सियासी समीकरणों को भी बीजेपी बुलंदशहर के जरिए ही भुनाना चाहती है. ऐसे कई कारण हैं जो बीजेपी को बुलंदशहर आने के लिए मजबूर करते हैं. जिसके चलते पार्टी चुनावी अभियान की शुरुआत यही से करने जा रही है. 


14 के बाद 24 बीजेपी के लिए लकी रहा बुलंदशहर


बीजेपी बुलंदशहर को शुभ शगुन मानती है, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव का आगाज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलंदशहर से ही किया था, जो भाजपा के लिए अति फलदायी रहा था, पार्टी ने 2014 में अपने दम पर सत्ता हासिल की थी. भाजपा ने यूपी में रिकॉर्ड बनाते हुए 80 में से 71 सीटें जीती थी. (दो सीटें सहयोगी अपना दल की थी) ऐसे में 10 साल बाद फिर से 14 के बाद 24 के चुनावी आगाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलंदशहर की धरती को चुना है. क्योंकि पार्टी इस बार 14 के रिकॉर्ड को भी तोड़ना चाहती है, यही वजह है कि खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक बुलंदशहर की सभा के लिए तैयारियों में जुटे हैं.  


राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है बुलंदशहर 


22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है, जिसके बाद देश भर में गजब का माहौल बना है, ऐसे में भाजपा पीएम मोदी की बुलंदशहर रैली के जरिए इस माहौल में और ऊर्जा का संचार करना चाहती है. वैसे भी बुलंदशहर का संयोग राम मंदिर से जुड़ा है, श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक बीजेपी के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बुलंदशहर से सांसद रहे हैं, यह शहर कल्याण सिंह की कर्मस्थली भी रहा है. जिसके चलते दशकों से यह सीट बीजेपी का अभेद किला मानी जाती है, ऐसे में राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह के योगदान के जरिए बीजेपी फिर से अपने मजबूत गढ़ में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहती है, जिसमें पीएम मोदी की रैली निर्णायक साबित हो सकती है. 


किसानों पर फोकस 


बीजेपी की राजनीति में किसान हमेशा केंद्र में रहा है. पश्चिमी यूपी किसानों का सबसे बढ़ा गढ़ माना जाता है. किसान आंदोलन का प्रभाव उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा इसी जोन में रहा था. ऐसे में किसानों से जुड़े हुए मुद्दे हमेशा बीजेपी के लिए परेशानी का सबब माने जाते रहे हैं. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को यहां से अपेक्षित नतीजे नहीं मिले थे. खास बात यह भी है कि हाल ही में भारतीय किसान यूनियन ने एक बार फिर से आंदोलन करने का ऐलान किया है, ऐसे में बीजेपी पहले से ही परिस्थितियों को भांपकर किसानों के बीच अपनी जड़े लोकसभा चुनाव से पहले ही मजबूत करना चाहती है. माना जा रहा है कि पीएम मोदी यहां से किसानों के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं, ताकि बुलंदशहर की पीएम मोदी की रैली से माहौल बनाया जाए. 


पश्चिमी यूपी पर नजर 


उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी की सियासत सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव वाली मानी जाती है, ऐसे में पीएम मोदी की रैली के जरिए बीजेपी पश्चिमी यूपी में लोकसभा चुनाव का सियासी खाका खींचने की तैयारी में है. उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी यहां तेजी से सक्रिए है, जबकि सपा ने पश्चिमी यूपी में मजबूत माने जाने वाली जयंत चौधरी की आरएलडी से गठबंधन का ऐलान कर दिया है. जिससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि पश्चिमी यूपी में विपक्ष पूरी तरह से रणनीति बनाने में जुट गया है, ऐसे में माहौल को भांपते हुए बीजेपी भी अब फ्रंटफुट पर खेलने की तैयारी में हैं. यानि पीएम मोदी न केवल उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों को बल्कि इंडिया गठबंधन को भी मैसेज देने की तैयारी में हैं. 


बुलंदशह से चार जिलों पर नजर 


वैसे भी 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी में झटका ही लगा था. पार्टी को रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, नगीना, बिजनौर, संभल और सहारनपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि बाद में रामपुर उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि पीएम मोदी सीधे जनता से रूबरू होकर 2024 का विजन बताना चाहते हैं.  राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बुलंदशहर बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है, पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में जिले की 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. बुलंदशहर सेंटर प्वाइंट में भी मौजूद है, यहां से नोएडा, अलीगढ़ और हापुड़ जैसे बड़े जिले सटे हुए हैं, यह पूरा इलाका सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है, ऐसे में बीजेपी ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीएम मोदी की रैली में लाने के लक्ष्य पर चल रही है, ताकि जनता तक पीएम मोदी का मैसेज पहुंच सके. यही वजह है कि सियासी नजरिए से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलंदशहर की जनसभा बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. 


बड़ी सौगात देंगे पीएम मोदी 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैली में बुलंदशहर को बड़ी सौगात भी देने जा रहे हैं, पीएम न्यू खुर्जा-न्यू रेवाड़ी के बीच DFC के तहत 173 किलोमीटर लंबी डबल लाइन विद्युतीकृत खंड देश को समर्पित करेंगे. इसका लाइन से बुलंदशहर समेत खुर्जा हरियाणा के रेवाड़ी समेत आसपास के कई जिलों के लोगों को फायदा होगा. इसके अलावा बुलंदशहर में ही इंडियन ऑयल की टूंडला-गवरियां पाइपलाइन और ग्रेटर नोएडा एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप का भी लोकार्पण करेंगे. यह योजना 1714 करोड़ रुपए की होगी, जिससे 747 एकड़ क्षेत्र भी विकसित होगा. यानि पीएम मोदी की यह रैली जितनी सौगातों वाली होगी उतने ही इसके सियासी मायने भी होंगे. 


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