भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लॉकडाउन की वजह से जम्मू-कश्मीर के 385 छात्र फंस गए थे. इन्हें शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh Chauhan) के निर्देश पर वापस भेजने की व्यवस्था की गई. इन सभी छात्रों को 15 बसों में बिठाकर वापस इनके गृह राज्य जम्मू-कश्मीर भेजा गया. इनमें इंदौर में भी फंसे 69 छात्र शामिल थे.  इन छात्रों से शिवराज सरकार ने किराया नहीं लिया.


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भोपाल जिला कलेक्टर तरुण पिथौड़े ने इसकी पुष्टि की. इन सभी छात्रों ने मध्य प्रदेश सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ई-पास के लिए आवेदन किया था. सीएम से मंजूरी मिलने के बाद इन छात्रों की घर वापसी के लिए 15 बसों का इंतज़ाम किया गया. इस दौरान बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया. छात्रों को खाने-पीने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था की गई थी.


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घर जाने से खुश हैं छात्र
भोपाल यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी विषय में पीएचडी कर रहे छात्र ऐजाज ने बताया कि उनकी घर जाने की कोई इच्छा नहीं है, क्योंकि पीएचडी आखिरी दौर में है. लेकिन लॉकडाउन ने उन्हें वापस लौटने को मजबूर किया. उन्होंने बताया कि भोपाल में वह मददगारों के भरोसे जीवन यापन कर रहे थे. कश्मीर की ही एक युवती ने बताया कि उनके पति भोपाल में एम-टेक के साथ ही प्राइवेट जॉब भी करते हैं. वह कुछ वक्त के लिए भोपाल आई थीं. उनका एक डेढ़ साल का बच्चा भी है. अचानक लॉकडाउन की वजह से वह फंस गईं. लेकिन अब घर वापसी से खुश हैं.


नॉन एसी बसों से भेजने की वजह से छात्रों ने जताई नाराज़गी
वहीं कुछ छात्रों ने एसी बसों से नहीं भेजने पर नराजगी भी जताई. छात्रों ने आरोप लगाया कि एसी बसों से उन्हें भेजने की बात कही गई थी, लेकिन उन्हें नॉन-एसी बसों से भेजा जा रहा है. छात्रों ने कहा कि नॉन-एसी बसों से 36 घंटे सफर करने में उन्हें काफी मुश्किल आएगी.


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छात्रों के आरोपों पर प्रशासन का जवाब
भोपाल एसडीएम राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि छात्रों के लिए पहले एसी बसों का ही इंतजाम किया गया था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन की वजह से एसी-बसों को हटा दिया गया. उन्होंने बताया कि एसी बसों से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है.