इंदौर: मध्य प्रदेश में हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को अब केस से जुड़े सारे दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपने होंगे. जबलपुर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मामले की जांच कर रही एसआईटी की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उसने आयकर विभाग को केवल लेन-देन से जुड़े दस्तावेज ही दिए जाने की बात कही थी.


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हाईकोर्ट पिछली सुनवाई में ही आदेश कर चुका है कि आयकर को 10 दिन में  दस्तावेज सौंपे जाएं. जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. एसआईटी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि आयकर विभाग आर्थिक मामलों की जांच करता है, लिहाजा उन्हें लेनदेन से जुड़े दस्तावेज देना ही उचित होगा.


हाईकोर्ट ने उनके इस तर्क पर कहा कि एसआईटी के पास ज्यादा काम हो तो ये केस सीबीआई को सौंप देते हैं. कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता से पूछा कि एसआईटी ने समय सीमा में आयकर विभाग को दस्तावेज क्यों नहीं सौंपे? इसके बाद कोर्ट ने मौखिक रूप से दस्तावेज देने का आदेश कर दिया.  


आयकर विभाग का कहना है कि उसे यह जानना है कि आखिर क्या ऐसी परिस्थितियां थीं, जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ. वित्तीय लेन-देन के अतिरिक्त हनी ट्रैप में सरकारी ठेके और प्रॉपर्टी तक दी गई थी. इन ठेकों का मूल्यांकन कितना था, यह किस दबाव में दिए गए. इसकी जांच के लिए आयकर विभाग ने सभी दस्तावेजों की मांग की है.


आपको बता दें कि हनी ट्रैप केस में अब तक पैसा देने वाले प्रभावशाली लोगों और पैसा लेने वाली महिलाओं के नाम सामने आए हैं. आयकर विभाग को अंदेशा है कि इस पूरे मामले में कई बड़े मध्यस्थ थे, जिनके माध्यम से बड़े-बड़े लेन-देन हुए. इसके एवज में उन्हें पैसा, प्रॉपर्टी और सरकारी ठेके मिले.