नई दिल्लीः मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में एक जून से 10 जून तक किसानों के गांव बंद को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. एक तरफ जहां देश के किसान संगठन इन 10 दिनों में गाँवों से खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति न करने पर अड़े हैं, वहीं सरकार ने इसे रोकने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. किसान आंदोलन के दौरान प्रदेश में हिंसा रोकने के लिए प्रशासन ने पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात किया है. लगभग 2000 पुलिसकर्मी  सुरक्षा व्यवस्था में जुटे हैं. आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सामान्य रूप से बनी रहे इसके लिए भी प्रशासन ने  अतिरिक्त इंतजामात किए हैं. शहरों में सीसीटीवी कैमरे के जरिए चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है, लेकिन इन सब के बावजूद प्रदेश में किसान आंदोलन का कहीं व्यापक असर देखा जा रहा है. प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान कई जिलों में दूध, सब्जी और फलों की आवश्यक आवक रुकी हुई है. जिसके चलते आम जनता को दोगुने दाम पर सब्जी और फल खरीदने पड़ रहे हैं.


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सब्जियों और फलों के दाम दोगुने
किसान आंदोलन के चलते नवबहार की सब्जी मंडी में इसका व्यापक असर देखने मिला. सब्जी मंडी में कोई भी किसान अपनी सब्जी लेकर नहीं पहुंचा जिसके बाद पूरी सब्जी मंडी में सन्नाटा पसरा रहा. यहां तक कि डीलरों की दुकान भी पूरी तरह से बंद रहीं. वहीं रतलाम में फिलहाल आंदोलन का खास असर देखने नहीं मिला. किसानों के मंडी में आने का सिलसिला तो जारी रहा, लेकिन सब्जियों और फलों के दाम दोगुने हो गए. इसके साथ ही मंदसौर में भी आंदोलन के पहले दिन खास असर दिखाई नहीं दिया. स्थानीय सब्जी मंडी में सब्जी की बंपर आवक हुई. किसान बड़ी संख्या में अपनी फसल और सब्जी लेकर मंडी पहुंचे, लेकिन यहां भी ग्राहकों की शिकायत है कि सब्जियों के दाम 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए हैं. 


देशभर के 170 किसान संगठन ले रहे भाग
बता दें कि गांव बंद के दौरान 1 जून से 10 जून तक किसान अपने उत्पादन, फल, सब्जी, दूध और अनाज समेत दूसरे उत्पाद शहर नहीं भजेंगे. राष्ट्रीय किसान महासंघ की अगुवाई में करीब 170 किसान संगठन इसमें भाग ले रहे हैं. जिसके चलते आंदोलन के एक दिन पहले से ही थोक व्यापारी ,फुटकर व्यापारी और ग्राहक आंदोलन को लेकर सचेत हो गए थे. कई लोगों ने आंदोलन के पहले से ही घरों में सब्जियों और फलों का स्टॉक रखना शुरू कर दिया था. वहीं थोक व्यापारियों ने भी सीजनल हरी सब्जी टिंडे, गिलकी, तुराई, कद्दू, भट्टे, गोभी और बैगन का स्टॉक बढ़ा लिया है. आंदोलन के मिजाज को देखते हुए सब्जीमण्डी में बिक्री डबल-ट्रिपल अनुपात में बढ़ी हुई है


इन जिलों में लगाई गई धारा 144
बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान पिछले साल हुई हिंसा को देखते हुए प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई है. किसान आंदोलन के चलते रायसेन जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया पर भी धारा 144 लगा दी है. ताकि सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जाने वाली अराजकता से बचा जा सके. वहीं रायसेन के अलावा झाबुआ और नीमच में भी आंदोलन को देखते हुए धारा 144 लागू की गई है. ऐसी स्थिति में अगर कोई भी संगठन बिना अनुमति धरना प्रदर्शन करता है तो उसके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी.