भोपाल: मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने अस्पतालों में ऑक्सीजन से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तक के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मेडिकल स्टोर्स के बाहर लाइनें लग रही हैं. इधर कई जिलों में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की खबरें भी सामने आ रही हैं. इस बीच शिवराज सरकार का पूरा फोकस अस्पतालों में इलाज की व्यवस्थाओं पर है. 


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भिलाई स्टील प्लांट रोजाना 60 टन ऑक्सीजन सप्लाई करेगा
राज्य सरकार ने बुधवार को भिलाई स्टील प्लांट से रोजाना 60 टन ऑक्सीजन सप्लाई करने का करार किया. पहली खेप 10 अप्रैल तक मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा करीब 200 टन ऑक्सीजन अन्य राज्यों से मंगवाई जा रही है. भोपाल कलेक्टर ने जिले में चल रहे ऑक्सीजन प्लांट को 24 घंटे चालू रखने के आदेश जारी कर दिए हैं. वर्तमान में कोरोना मरीजों के लिए प्रतिदिन औसत 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. लेकिन जिस तरह से केस बढ़ते जा रहे हैं आक्सीजन की डिमांड और बढ़ सकती है.


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मध्य प्रदेश में रोजाना 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही
मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन के एमडी विजय कुमार के मुताबिक वर्तमान में मध्य प्रदेश में 224 टन ऑक्सीजन उपलब्‍ध है. इसमें 140 टन गुजरात और यूपी से आ रही है. राज्य में संचालित छोटी-छोटी इकाइयों से भी 84 टन ऑक्सीजन सिलेंडर में मिल रही है, जो स्थानीय स्तर पर सीधे अस्पतालों में भेजी जा रही है. सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि अस्पतालों में पहले ऑक्सीजन सप्लाई होगी, इसके बाद ही इंडस्ट्री को सप्लाई की जाएगी.


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एक कोरोना मरीज को 24 घंटे में औसतन 3-4 सिलेंडर लगते हैं
कोरोना और अन्य बीमारियों के मरीजों को मिलाकर करीब 20% को कम-ज्यादा मात्रा में आक्सीजन की जरूरत पड़ती है. इसमें 15% मरीजों को 10 लीटर प्रति मिनट और इनसे ज्यादा गंभीर 5% मरीजों को 24 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है. मध्य प्रदेश के कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती एक मरीज को 24 घंटे में औसतन 3 से 4 सिलेंडर लगते हैं. इस अनुमान के अनुसार 300 भर्ती मरीजों को कोविड-19 अस्पतालों में रोजाना 1000 सिलेंडर लगेंगे. आगामी दिनों में स्थिति अंडर कंट्रोल रहे इसके लिए सरकार ने इंतजाम शुरू कर दिए हैं.


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