Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की पोल खुल गई है. CBI की जांच में 66 नर्सिंग कॉलेज अनफिट पाए गए हैं. प्रदेश के कुल 308 नर्सिंग कॉलेज में से 169 फिट, जबकि 66 अनफिट करार दिए गए. जांच में पाया गया है कि 73 नर्सिंग कॉलेज मानकों को पूरा नहीं कर रहे. भोपाल के GMC और BMHRC समेत 10 सरकारी कॉलेजों में भी खामियां पाई गईं. जबलपुर हाई कोर्ट में पेश CBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है.


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सीबीआई की रिपोर्ट में पाया गया है कि ज्यादातर कॉलेज मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. रिपोर्ट में सूटेबल, डिफिशिएंट और अनसूटेबल तीन कैटेगरी में कॉलेजों को बांटा गया है. रीवा का शासकीय नर्सिंग कॉलेज चलाने की स्थिति में नहीं है. प्रदेश के 310 कॉलेजों में से 66 हालात बहुत ज्यादा खराब बताई गई है. कई नर्सिंग कॉलेज सिर्फ कागजों तक सीमित जमीन पर कुछ नहीं है.


अधर में लटका हजारों बच्चों का भविष्य
73 कॉलेजों में नर्सिंग स्टाफ से लेकर कई अनियमितता पाई गई हैं. नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में हाईकोर्ट ने जांच के निर्देश दिए थे. सीबीआई को कोर्ट ने कॉलेज पहुंचकर निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे. फर्जीवाड़े के कारण पिछले चार साल से परीक्षा नहीं पाई है. परीक्षा नहीं होने के कारण लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लट गया है.


क्यों हो रहा विरोध?
इधर, राज्य सरकार ने अनफिट नर्सिंग कॉलेजों पर कार्रवाई करने के बदले मान्यता देने के नियम में बदलाव कर दिया है. कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाड़े की फाइनल जांच सीबीआई ने हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच को को सौंपी थी, इसे खुद हाई कोर्ट ने सार्वजनिक किया था. सरकार के नए नियम के मुताबिक, अब कॉलेज की इमारत के लिए 8 हजार वर्गफीट जमीन पर्याप्त होगी, जबकि पहले यह  23 हजार वर्गफीट थी. हैरानी बात यह है सरकार के यह नियम इंडियन नर्सिंग काउंसिल के प्रावधानों के विपरीत बनाए हैं. इसलिए अब इन नियमों का विरोध शुरू हो गया है, क्योंकि अब जो कॉलेज अनफिट पाए गए हैं वो नए सिरे मान्यता प्राप्त कर सकते हैं.


रिपोर्ट: आशीष द्विवेदी, भोपाल