प्रितेश शारदा/नीमचः मावठे की बारिश ने मध्य प्रदेश के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल इस बारिश के चलते अफीम की खेती करने वाले किसान अपने खेतों में निराई-गुड़ाई नहीं कर पा रहे हैं और ना ही खाद का छिड़काव कर पा रहे हैं, जिससे अफीम के पौधे पीले होकर नष्ट हो रहे हैं. खेती के नष्ट होने से जहां किसानों को आर्थिक नुकसान का डर है, वहीं कानून कार्रवाई का भी डर सता रहा है! दरअसल किसानों को नारकोटिक्स विभाग को अफीम की खेती का पूरा ब्यौरा देना होता है. 


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ये है किसानों की परेशानी
किसानों का कहना है कि अफीम की खेती का नारकोटिक्स विभाग द्वारा लाइसेंस दिया जाता है. एक-एक ग्राम अफीम का हिसाब विभाग को देना पड़ता है. ऐसे में बारिश से अफीम के पौधे नष्ट होने पर आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ेगा और लाइसेंस कटने का भी डर बना हुआ है. बता दें कि अफीम की खेती करने वाले किसानों को तमाम नियम और शर्तों का पालन करना होता है. लाइसेंस लेकर ही अफीम की खेती  की जा सकती. इसका लाइसेंस भी कुछ खास जगहों पर ही खेती के लिए दिया जाता है. वहीं कितने खेत में आप खेती कर सकते हैं ये भी पहले से ही निर्धारित किया जाता है. 


कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरसो ओर चने की फसल के लिए दिसंबर की बारिश लाभदायक है लेकिन वहीं अफीम व गेहूं की फसल को मावठे की बारिश से नुकसान होता है. गेहूं और अफीम की फसल 30 से 35 दिन की हो गई हो तो यूरिया खाद का छिड़काव जरूरी होता है वरना फसल में पीलापन आ जाता है. अफीम के कुछ बीज  कहीं से मिल जाएं तो भी किसान उन्हें नहीं उगा सकते हैं. बिना लाइसेंस के एक भी अफीम का पौधा आपने उगाया तो इसके लिए किसान पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.


जानकारी के लिए बता दें कि अफीम की खेती के लिए किसान को करीब 7-8 किलो बीज की जरूरत होती है और इसकी कीमत काफी कम होती है. इसका बीज 150-200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता है. वहीं एक हेक्टेयर से करीब 50-60 किलो अफीम का लेटेक्स इकट्ठा होता है. यह लेटेक्स डोडे से निकले तरल के जमने से बनता है. इसके लिए सरकार की तरफ से करीब 1800 रुपये प्रति किलो का भाव दिया जाता है. 


इन जगहों पर की जाती हैं अफीम की खेती 
देश में अफीम की खेती मध्य प्रदेश में नीमच, मंदसौर जैसी जगहों पर की खेती की जाती है. साथ ही राजस्थान में झालावाड़, भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ जैसी जगहों पर इसकी खेती होती है. यूपी में बाराबंकी में अफीम उगाया जाता है. अफीम की खेती के लिए नए लाइसेंस बहुत ही कम जारी होते हैं, अधिकतर पुराने ही रिन्यू किए जाते हैं. अगर ओलावृष्टि, बारिश या अन्य किसी वजह से अफीम की फसल खराब हो जाए तो तुरंत नार्कोटिक्स विभाग को सूचित करना होता है और अपनी बेकार हो चुकी पूरी फसल को पूरी तरह नष्ट करना होता है, तभी मुआवजा मिलता है.