अचानक सियासी केंद्र पर क्यों आए `कोल`? MP के शबरी महोत्सव में अमित शाह साधेंगे विंध्य के ये आंकड़े
Sabri Mahotsav Kol Samaj Sammelan: सतना (Satna) में केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Amit Shah) शबरी महोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं. इस दौरान वो कोल समाज के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. जानिए आखिर मध्य प्रदेश की सियासत में अचानक आए कोल समाज की क्या है राजनीतिक अहमियत और क्या कहते हैं आंकडे?
Amit Shah In Satna: भोपाल/सतना। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस वर्गवार वोट साधने में जुटे हैं. पुछले 6 माह से प्रदेश में अलग-अलग समाज और जाति वर्गों के सम्मेलन हो रहे हैं. सबसे खास की इस बार दोनों ही प्रमुख्य दल दलित और आदिवासियों को साधने में जुटे हैं. यहीं कारण है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सतना में शबरी महोत्सव (Sabri Mahotsav) में कोल समाज के सम्मेलन (Kol Samaj Sammelan) में शामिल हो रहे हैं. भाजपा को उम्मीद है कि इससे वो विंध्य (Vindhay Rewa) में और मजबूत होगी.
क्या कोल समाज का वोट बैंक
विंध्य के 7 जिलों में से 5 जिले में बहुसंख्यक कोल समाज रहता है. कई सीटों पर ये चुनाव में निर्णायक रूप से शामिल होते हैं. अकेले सतना का बात की जाए तो यहां करीब कोल समाज की आबादी करीब सवा तीन लाख है. इसके अलावा रीवा, सीधी सिंगरौली, शहडोल में सर्वाधिक कोल समाज की आबादी है. अभी तक ये समाद परंपरागत रूप से कांग्रेस का साथ देते आया है. बीजेपी का प्रयास है कि वो 2023 के चुनाव में इसी वोट बैंक में सेंध लगा ले जाए.
ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों पर बड़ा फैसला, RTI के तहत देनी होंगी ये जानकारियां
78 प्रतिशत तर होती है वोटिंग
पिछले चुनावों की बात करें तो इस कोल समाज लोकतंत्र के महापर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता आया है. पूरे विंध्य (बघेल खंड) में कोल समाज का वोटिंग प्रतिशत करीबन 78 प्रतिशत के आसपास जाता है. विंध्य की तीन सीटों पर इनका पूरा डोमिनेंस है. यानी इस समाज का वोट अन्य वर्गों से हो रहे घाटे को फिलअप करने में महत्यपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसी कारण सतना में इस महाकुंभ के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहा है.
BIG NEWS: रायपुर में बदलेगा कांग्रेस का संविधान! मल्लिकार्जुन खड़गे ने रखे ये 6 विषय
कोल जनजातीय महाकुंभ पर सियासत
बीजेपी की तरफ से आयोजित शबरी महोत्सव को लेकर मध्य प्रदेश में अब सियासत भी होने लगी है. कांग्रेस का आरोप है कि आदिवासियों ने 2018 में कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था और 2023 में भी कांग्रेस का साथ देंगे. इसी कारण बीजेपी घबराई हुई है और अपने केंद्रीय नेतृत्व को आदिवासियों को साधने के लिए प्रदेश में बुला रही है. कांग्रेस उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल ने कहा आदिवासी इस बार भी बीजेपी का साथ नहीं देंगे, चाहे अमित शाह आ जाएं या कोई और.