अरुण त्र‍िपाठी/उमरिया: मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व  बाघों के सरंक्षण के साथ-साथ प्रदेश के अलावा अन्य बाघ विहीन जंगलों में बाघों की पुनर्स्थापना का केंद्र बन गया है. बांधवगढ़ से अब तक 19 बाघों को बाघ विहीन जंगलों में भेजा जा चुका है. बांधवगढ़ के बाघ सरंक्षण के लिए चुनौती बने जंगली हाथियों के प्रबंधन के लिए टाइगर र‍िजर्व बड़े बदलाव कर रहा है. बता दें क‍ि 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है. 


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बाघ पुनर्स्थापना का केंद्र बना बांधवगढ़ टाइगर र‍िजर्व
उमरिया जिले का विश्वविख्यात बांधवगढ़ टाइगर र‍िजर्व बाघों की सघनता और सहजता से बाघ-दर्शन के लिए दुनिया भर में मशहूर है लेकिन बांधवगढ़ की एक और खास बात यह है कि बांधवगढ़ मध्य प्रदेश सहित अन्य बाघ विहीन जंगलों, टाइगर रिजर्वों में बाघ पुनर्स्थापना का केंद्र बन गया है. टाइगर र‍िजर्व में 2009 के बाद से अब तक 19 बाघ-बाघिन अन्य टाइगर रिजर्वों और जंगलों में बाघों की पुनर्स्थापना के लिए भेजे जा चुके हैं जिसमें 9 बाघिन एवं 10 बाघ शामिल हैं. 


कई जगह भेजे गए टाइगर 
बांधवगढ़ से बाघ पन्ना टाइगर र‍िजर्व, सतपुड़ा टाइगर र‍िजर्व, संजय टाइगर र‍िजर्व, नौरादेही अभ्यारण्य, मुकुंदपुर टाइगर सफारी, वन विहार भोपाल के अलावा ओड‍िशा के सतकोसिया अभ्यारण्य भेजे गए हैं. पार्क के जानकार  बांधवगढ़ की इस खासियत के पीछे बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ बांधवगढ़ में बाघों के प्रजनन, आवास और रहवास के लिए अनुकूल वातावरण को जिम्मेदार मानते हैं और इसे एक उपलब्धि के तौर पर देखते हैं. 


दुन‍ियाभर में बाघों के मामले में सबसे ज्‍यादा घनत्‍व 
1526 वर्ग किमी में फैले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के स्वच्छंद विचरण के लिए महज 426 वर्ग किमी का कोर क्षेत्र मौजूद है, शेष बफर इलाके में 105 गांव आबाद होने से बाघों के विचरण में बाधा उत्पन्न होती है और यही वजह भी है कि घनत्व में बाघ यहां दुनिया भर में सर्वाधिक हैं. पर्यटकों को यहां सहजता से बाघ के दर्शन हो जाते हैं. वर्ष 2018 की बाघ गणना में बांधवगढ़ के 118-124 बाघों की मौजूदगी के आंकड़े मिले हैंं. बेहतर सरंक्षण के कारण जानकार 2022 की गणना में यह संख्या बढ़कर 150 से अधिक होने का दावा कर रहे हैंं. बांधवगढ़ को करीब से देखने जानने वाले लोगों का भी मानना है कि बांधवगढ़ के बाघों की बात निराली है. वन्य जीव प्रेमी बांधवगढ़ को बाघों का स्वर्ग कहते हैं. 


जंगली हाथ‍ियों के कारण टाइगर कंजर्वेशन में आ रही चुनौती 
बांधवगढ़ में वर्ष 2018 के बाद जंगली हाथियों ने अपना रहवास बना लिया है जिसके कारण पार्क प्रबंधन को टाइगर कंजर्वेशन में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. चार सालों के अंतराल में जंगली हाथियों की संख्या बढ़ती गई जो अब 50 के आस-पास है लेकिन टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगली हाथियों के आ जाने से बाघ प्रबंधन में हो रही कठिनाई को रोकने रणनीति में आवश्यक बदलाव किए और जंगली हाथियों के अनुकूल भोजन पानी के स्रोत, टाइगर रिजर्व के जंगलों के भीतर विकसित किये ताकि जंगली हाथी बाघ सरंक्षण को प्रभावित न कर सकेंं. 


प्रदेश के जंगलों में बांधवगढ़ के बाघों की बादशाहत बरकरार 
बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की पुनर्स्थापना में बांधवगढ टाइगर रिजर्व का अहम योगदान रहा है. इसके अलावा संजय टाइगर रिजर्व में भी बांधवगढ के बाघ भेजकर वहां बाघों की संख्या समृद्ध करने में कारगर रहे हैं. आज के समय मे मध्यप्रदेश के सभी बाघ विहीन जंगलों में बांधवगढ़ के बाघ बाघों की वंशवृद्धि करने में मददगार साबित हो रहे हैं और प्रदेश के जंगलों में बांधवगढ़ के बाघों की बादशाहत बरकरार है. 


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