भोपाल में दौड़ी चुनावी मेट्रो! ट्रायल में मुख्यमंत्री ने किया सफर, जानिए आम जनता को कब मिलेगा मौका
Bhopal Metro Trial: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के बाद राजधानी भोपाल में मेट्रो का ट्रायल किया गया. लेकिन, सवाल ये खड़ा होता है की अधूरे प्रोजेक्ट में जनता को इस सवारी का आनंद कब तक मिल पाएगा. समझिए इस ट्रायल का पूरी सियासी गणित.
Bhopal Metro Trial: भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह से चुनावी गणित बैठाने में लग गए हैं. प्रदेश में आनन फानन में फैसले लिए जा रहे हैं. इन दिनों भूमिपूजन, शिलान्यास और घोषणाओं की मानो बारिश सी होने लगी है. इस बीच इंदौर के बाद अब राजधानी भोपाल में मेट्रो का ट्रायल कराया गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. हालांकि, इस अधुरे प्रोजेक्ट से आम जनता को कब सुविधा मिल पाएगी पता नहीं.
मुख्यमंत्री ने दिखाई हरी झंडी
मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल मेट्रो को हरी झंडी दिखाई. सीएन ने खुद सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन तक मेट्रो में सफर किया. इसके पहले सीएम ने कहा कि मेट्रो यहीं नहीं रुकेगी. इसका विस्तार कर मंडीदीप और जरूरत पड़ी तो सीहोर और विदिशा तक ले जाएंगे. कार्यक्रम में भाषण देते हुए सीएम ने कहा कि जब मैं बचपन से भोपाल आता था तो यहां तांगा चलते थे. उसके बाद भट्ट सूअर फिर ऑटो, टैक्सी और स्मार्ट बस चलीं. अब हम तांगे से लेकर मेट्रो तक पहुंच गए हैं.
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अधूरे काम में ट्रायल
अभी भोपाल मेट्रो का काम अधूरा है. पहले भेज के पहले रूट का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में ट्रायल के लिए सिर्फ सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन तक काम दुरुस्त किया गया और मेट्रो दौड़ा दी गई. जबकि, ये रूट सुभाष नगर से एम्स तक बना है. इस रूट की लंबाई 16 किमी का प्रोजेक्ट है. अभी 6 किमी पर काम जारी है. जबकि, ट्रायल 4 किमी का ट्रायल कराया जा रहा है.
जनता कब करेगी सवारी
भोपाल मेट्रो के ट्रायल में आज मुख्यमंत्री ने सफर तो कर लिया लेकिन, सवाव बड़ा ये है कि इसमें जनता को सफर करने का मौका कब मिलेगा. जानकारों की मानें तो जिस तरह से मेट्रो का काम चल रहा है. इस पूरे 16 किलोमीटर के ट्रैक को रेडी होने में कम से कम 8 महीने का वक्त लगेगा. यानी जनता इसमें नए वित्त वर्ष में ही सफर कर पाएगी.
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क्यों हुआ अभी ट्रायल?
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. अब किसी भी तारीख को चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तारिखों का ऐलान कर सकता है. इसे के साथ चुनावी राज्यों में आदर्श आचार्य संहिता लग जाएगी और तमाम विकास के कामों का लोकार्पण और शिलान्यस रुक जाएगा. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि प्रचार में बताने के लिए कुछ न कुछ अर्जित कर ले.