MP में BJP का परिवारवाद कांग्रेस से कम नहीं! ये हैं शिवराज कैबिनेट में विरासत वाले मंत्री
सीएम शिवराज द्वारा किए गए कैबिनेट विस्तार में राहुल लोधी को शामिल किए जाने के कारण बीजेपी विपक्ष के निशाने पर है. इसी परिवारवाद को लेकर भाजपा विपक्ष की पार्टियों खासकर कांग्रेस को घेरा करती थी. राहुल लोधी को मिलाकर अब कुल 6 मंत्री ऐसे है जो किसी न किसी परिवार से आते है.
Madhya Pradesh Cabinet Expansion: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)में होने वाले विधानसभा चुनाव ( State Assembly Election) के मद्देनजर हाल ही में सीएम शिवराज सिंह ( CM Shivraj Singh) ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया है. इस कैबिनेट विस्तार में 3 नेताओं को मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है. इन तीनों में राहुल लोधी के कारण ये कैबिनेट विस्तार सुर्खियों में है. लोधी उमा भारती के भतीजे है. उमा भारती बीजेपी से काफी दिनों से नाराज चल रही है. इसलिए ये फैसला उनकी नाराजगी को दूर करने के रूप में भी देखा जा रहा है. राहुल की ये एंट्री लोधी समुदाय को खुश करने के तौर पर भी देखी जा रही है. लोधी जो बुंदेलखंड और निवाड़ के 17 जिलों में काफी प्रभाव रखता हैं, मध्य प्रदेश विधानसभा के करीब 50 सीटों पर इस समुदाय के मतदाता असरदार हैं. राहुल लोधी के आने से पहले ही शिवराज के कैबिनेट में 5 बड़े नेता शामिल थे.
राहुल लोधी के अलावा अन्य बड़े नाम जो पहले से ही कैबिनेट में है-
1. ओम प्रकाश सकलेचा- पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सकलेचा के बेटे ओम प्रकाश शिवराज कैबिनेट में सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग के मंत्री हैं. इनके पास विज्ञान और प्रद्यौगिकी विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी है. वीरेंद्र सकलेचा प्रदेश में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. पिता के निधन के बाद ओम प्रकाश राजनीति में आए. 2003 में जावद विधानसभा से पहली बार वे विधायक चुने गए तब ये सीट कांग्रेस के कब्जे में थी. इसके बाद से वे लगातार ही यहां से चुनाव जीत रहे हैं.
2. राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव- राज्यवर्द्धन के पास औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग है. बदनावर से विधायक राज्यवर्द्धन के पिता प्रेम सिंह 1990 में बदनावर सीट से विधायक चुने गए थे. राज्यवर्द्धन राजनीति में 1998 में आए थे. मगर उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा था जो वो बुरी तरह हार गए थे. 2003 चुनाव में राज्यवर्द्धन ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा था और वे जीत भी गए थे. और 2013 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत ने हरा दिया. फिर 2018 में राज्यवर्द्धन ने जीत हासिल कर वापसी की , लेकिन उन्हें कमलनाथ कैबिनेट में जगह नहीं मिली. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब बगावत का प्रतिनिधित्व किया तो राज्यवर्द्धन भी उनके साथ बेंगलुरु गए थे. बीजेपी की सरकार बनने के बाद उन्हें ईनाम के तौर पर मंत्री बनाया गया.
3. बृजेंद्र सिंह यादव- शिवराज कैबिनेट में शामिल बृजेंद्र सिंह यादव भी राजनीति अपने पिता गजराम यादव से विरासत में मिली है. बृजेंन्द्र वर्तमान में लोक स्वास्थ्य और यांत्रिकी विभाग में राज्य मंत्री हैं. वे भी 2020 तक कांग्रेसी थे, लेकिन सिंधिया की बगावत के बाद बीजेपी में शामिल हो गए. 2018 के उपचुनाव में बृजेंद्र पहली बार मुंगावली सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. बाद में 2018 के मुख्य चुनाव में भी उनके द्वारा जीत हासिल की गई थी. कमलनाथ कैबिनेट में उन्हें भी जगह नहीं मिली थी. 2020 में सिंधिया कोटे से बृजेंद्र शिवराज को कैबिनेट में शामिल किया गया था.
4. विश्वास सारंग- मध्य प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश सारंग के बेटे है. विश्वास को चिकित्सा शिक्षा और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग की जिम्मेदारी है. 2016 में पहली बार शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाए गए थे. इनके पिता की भी गिनती मध्य प्रदेश बीजेपी के संस्थापक नेताओं में होती है. इनके पिता राज्यसभा के सासंद भी थे. विश्वास की राजनीतिक करियर की शुरुआत 1993 बीजेपी युवा मोर्चा से हुई थी. उसके बाद 1999 में वे भोपाल नगर निगम में पार्षद का चुनाव जीता. विश्वास लगातार नरेला सीट से विधायकी का चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को करीब 23 हजार वोटों से हराया था.
5. यशोधरा राजे सिंधिया- ये ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और जनसंघ की संस्थापक विजयराजे सिंधिया की बेटी है. यशोधरा के पास खेल और युवा कल्याण विभाग है. 1998 में ग्वालियर की शिवपुरी सीट से चुनाव जीतकर इन्होंने राजनीति में एंट्री की थी. 2005 में पहली बार शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाई गई थी. ये ग्वालियर से लोकसभा की सांसद भी रह चुकी हैं. 2020 में सिंधिया के साथ आने के बाद जब शिवराज की सरकार बनी, तब यशोधरा के कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिली थी. हालांकि, अब एक विभाग देकर शिवराज ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया. अभी यशोधरा परिवार के 4 लोग सक्रिय राजनीति में हैं. जिसमें खुद यशोधरा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह शामिल हैं. ज्योतिरादित्य केंद्र में मंत्री हैं और दुष्यंत सिंह सांसद और वसुंधरा राजे पूर्व सीएम एवं अभी विधायक के पद पर हैं.
इसके पहले भी आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे की पहली सूची जारी की गई थी उसमें भी बीजेपी ने 6 नेता पुत्र और एक नेता पत्नी को टिकट दिया था. बीजेपी ने भोपाल मध्य, भैंसदेही, बरगी, बड़वारा, महराजपुर और बंडा सीट से नेता पुत्रों को उम्मीदवार बनाया है.