Madhya Pradesh NEWS: ग्वालियर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) छात्रों के द्वारा जज की कार छीनने के मामले में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने संज्ञान लिया है. सीएम ने पूरे मामले में CID जांच के निर्देश दिए हैं. सीएम ने कहा कि छात्रों का कदम मानवीय दृष्टि से उचित था, लेकिन उनका तरीका गलत था. अपराध तो हुआ है, लेकिन बिना सोचे समझे डकैती की धाराएं लगाई है. यह गलत है. मामले की जांच के बाद ही कार्रवाई करना चाहिए. एबीवीपी के जो दो छात्र जेल में बंद हैं उनको जल्द से जल्द रिहा करने की कोशिश करेंगे.


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इससे पहले एबीवीपी के छात्रों के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा. पत्र में छात्रों को भविष्य के देखते हुए उन पर प्रकरण वापस लेने की प्रार्थना की है. बता दें कि 11 दिसंबर को निजी विश्वविद्यालय के कुलपति ट्रेन में दिल्ली से झांसी की ओर सफर कर रहे थे. रास्ते में अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. जब ट्रेन ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर रुकी तो दो छात्रों ने कुलपति की जान बचाने के लिए स्टेशन के बाहर रखी जज की कार बिना मर्जी के ले कर उन्हें अस्पताल तक लेकर पहुंचे जहां इलाज के दौरान कुलपति की मौत हो गई. 


पुलिस ने लगाई चोरी और डकैती की धाराएं
इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों एबीवीपी छात्रों पर डकैती और चोरी का मामला दर्ज किया गया है और अब दोनों ही छात्र जेल में है. इसके बाद ABVP के छात्रों ने इसका विरोध किया और छात्र सड़क पर उतर आए. छात्रों शहर में जगह-जगह आंदोलन प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले में कोर्ट ने भी दोनों आरोपी छात्रों का जमानत देने से इंकार कर दिया.


कोर्ट का जमानत देने से इनकार
कोर्ट ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के कार्य को कतई न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. जब रेलवे स्टेशन पर गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस आ चुकी थी तब छात्रों को हाईकोर्ट जज की कार के ड्राइवर से चाबी छीनकर उसमें मरीज लेकर जाने की जरूरत नहीं थी. इसके बाद कोर्ट ने आरोपी छात्र हिमांशु और सुकृत को जमानत देने से इंकार कर दिया.