इस वजह से कोयला परिवहन हुआ प्रभावित, बढ़ सकता है बिजली संकट, जानिए पूरा मामला
मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले के अंतर्गत आने वाले कोल क्षेत्र में लंबे समय से ट्रेन बंद होने के कारण स्थानी लोगों का गुस्सा शनिवार को रेलवे पर फूट पड़ा. इसका असर ये हुआ कि लोग पटरी पर उतर का प्रदर्शन करने लगे, जिससे क्षेत्र से जाने वाली कोयले की रैक वहीं रुक गई.
अभय पाठक/अनूपपुर: कोरोना संक्रमण काल से ट्रेनों का परिचालन बंद पूरी तरह बंद कर दिया गया था. उसके बाद धीरे-धीरे ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया. लेकिन, पूरी तरह से ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं किया. अब जो ट्रेने चल रही है उन्हें भी बंद किया जा रहा है. ट्रेनों के लगातार कैंसिल होने से कोल क्षेत्र अनूपपुर,बिजुरी एवं कोतमा के लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
रुकी रहीं कोयले की मालगाड़ियां
दो साल से रेल सेवा न होने के कारण शनिवार को बिजुरी में क्षेत्र के लोगों का गुस्सा फीट पड़ा और उन्होंने पटरी पर उतर का प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस दौरान करीब 4 घंटे तक यहां से जाने वाली कोयले मालगाड़ियां रुकी रहीं. बात में अधिकारियो के आश्वासन के बाद आंदोलन शांत हुआ.
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2 साल से बंद हैं रेल गाड़ियां
बिजुरी रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने वाली लगभग सभी यात्री ट्रेनों का परिचालन पिछले 2 सालों से बंद पड़ा है. इसी से नाराज होकर शनिवार को लोगों ने रेलवे संघर्ष समिति के तत्वाधान मे बंद यात्री ट्रेनों को पुनः चलाने के लिए आंदोलन किया है. इस दौरान बिजुरी से होकर गुजरने वालो मालगाड़ियों को भी रोक लिया गया. इस दौरान मौके पर पुलिस व रेलवे के जवान भारी संख्या मे मौजूद है.
भारी संख्या में लोगों ने लिया हिस्सा
जनांदोलन में छोटे-बड़े व्यापारी, महिलाएं, छात्र व सभी जनसमूह ने बढ़ चढ़कर भाग लिया. प्रशासन भी इसके लिए चाक चौबंद रहा. अनहोनी न हो इसके लिए रेलवे पुलिस व प्रशासन के साथ अनूपपुर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व भारी संख्या मे पुलिस बल भी मौजूद रहा. आंदोलनकारीयों को रोकने के लिए जगह जगह बैरिकेट्स लगाए गए थे. बावजूद इसके लोग पटरियों तक पहुंचने मे सफल रहे.
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मांग पूरी नहीं हुआ तो उग्र होगा आंदोलन
4 घंटे तक आंदोलन चलने के बाद रेलवे प्रशासन के DCM एस भारतीय के द्वारा आश्वासन दिया गया कि 15 दिनों के भीतर ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ कर दिया जाएगा. उसके बाद आंदोलनकारी आंदोलन को समाप्त किया, लेकिन मीडिया के सामने रेलवे की तरफ से अधिकारियों को पुख्ता जानकारी नहीं दी. आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर 15 दिनों के भीतर मांगों पर अमल नहीं किया गया तो वो उग्र आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.
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